संसद ने मानवाधिकार संरक्षण (संशोधन) विधेयक को मंजूरी दी

Jul 23, 2019, 11:59 IST

मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 को मानव अधिकारों के संरक्षण हेतु राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, राज्य मानवाधिकार आयोग और मानव अधिकार न्यायालयों के गठन को लेकर अधिनियमित किया गया था.

human rights protection amendment bill 2019
human rights protection amendment bill 2019

राज्यसभा में 22 जुलाई 2019 को मानवाधिकार संरक्षण (संशोधन) विधेयक 2019 पारित हो गया है. यह विधेयक सरकार की ओर से राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और राज्य मानवाधिकार आयोगों को और अधिक सक्षम बनाने हेतु लाया गया है.

लोकसभा में 19 जुलाई 2019 को मानवाधिकार संरक्षण (संशोधन) विधेयक बिल को मंजूरी दी गई थी. मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 को मानव अधिकारों के संरक्षण हेतु राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, राज्य मानवाधिकार आयोग और मानव अधिकार न्यायालयों के गठन को लेकर अधिनियमित किया गया था. इसके अतिरिक्त, कुछ राज्य सरकारों ने भी अधिनियम में संशोधन के लिए प्रस्ताव किया था.

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मुख्य बिंदु:

•    इस संशोधन विधेयक के तहत आयोग के अध्यक्ष के रूप में ऐसे व्यक्ति को भी नियुक्त करने का प्रावधान किया गया है जो उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश रहा है.

•    आयोग के सदस्यों की संख्या को दो से बढ़ाकर तीन किया जा सके, जिनमें से एक महिला सदस्य होगी.

•    दिल्ली संघ राज्य क्षेत्र से भिन्न अन्य संघ राज्य क्षेत्रों द्वारा निर्वहन किए जा रहे मानव अधिकारों सम्बन्धी मामलों को राज्य आयोगों को प्रदत्त किया जा सके, दिल्ली संघ राज्य क्षेत्र के सम्बन्ध में आयोग द्वारा कार्यवाही की जाएगी.

•   इस संशोधन के तहत राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष और दिव्यांगजनों सम्बन्धी मुख्य आयुक्त को आयोग के सदस्यों के रूप में सम्मिलित किया जा सकेगा.

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•    आयोग और राज्य आयोगों के अध्यक्षों और सदस्यों की पदावधि को पांच वर्ष से कम करके तीन वर्ष किया जा सके और वे पुनर्नियुक्ति के लिए पात्र होंगे.

•    संशोधित बिल के अनुसार, मुख्य सूचना आयुक्त एवं सूचना आयुक्तों तथा राज्य मुख्य सूचना आयुक्त एवं राज्य सूचना आयुक्तों के वेतन, भत्ते और सेवा के अन्य निबंधन एवं शर्ते केंद्र सरकार द्वारा तय किए जाएंगे.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सदन में विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए पुनर्नियुक्ति के प्रावधान पर विपक्ष की आपत्तियों को निराधार बताया. उन्होंने कहा कि आयोग के सदस्य की नियुक्ति एक समिति करती है. इस समिति में प्रधानमंत्री, लोकसभा के अध्यक्ष, राज्यसभा के उपसभापति तथा संसद के दोनों सदनों के नेता प्रतिपक्ष या सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता होते हैं.

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Vikash Tiwari is an content writer with 3+ years of experience in the Education industry. He is a Commerce graduate and currently writes for the Current Affairs section of jagranjosh.com. He can be reached at vikash.tiwari@jagrannewmedia.com
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