संसद ने 30 जुलाई 2018 को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) में उसके सहयोगी बैंकों के विलय संबंधी स्टेट बैंक निरसन और संशोधन विधेयक पारित किया.
राज्यसभा द्वारा स्टेट बैंक निरसन और संशोधन विधेयक, 2017 में सुझाए गए संशोधनों पर लोकसभा की मंजूरी मिलने के बाद अब ये विधेयक संसद में पारित हो गया है.
यह विधेयक 21 जुलाई 2017 को केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा लोकसभा में पेश किया गया था.
विधेयक के प्रावधान:
इस विधेयक के अनुसार भारतीय स्टेट बैंक सहायक बैंक अधिनियम, 1959, और हैदराबाद स्टेट बैंक, 1956 को निरस्त कर दिया गया है तथा भारतीय स्टेट बैंक अधिनियम, 1955 में संशोधन किया गया है. इसके तहत स्टेट बैंक के पांच सहयोगी बैंकों के भारतीय स्टेट बैंक में विलय की वैधानिक पुष्टि हो गई है.
भारतीय स्टेट बैंक में सहयोगी बैंकों के विलय:
जिन बैंकों का विलय भारतीय स्टेट बैंक में किया गया है, वे हैं - स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर, स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर, स्टेट बैंक ऑफ पटियाला और स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर.
विलय का महत्व:
संसद से मंजूरी मिली है कि एसबीआई का विलय पांच अन्य बैंकों के साथ किया जाएगा. इस फैसला के साथ ही एसबीआई संपत्ति के मामले में दुनिया के 50 बैंकों में शामिल हो गया है. अपने सहयोगी बैंकों और बीएमबी को मिलाने के बाद एसबीआइ की परिसंपत्तियां बढ़कर 37 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो जाएंगी.
सरकार को उम्मीद है कि विलय के बाद एसबीआइ भारत की बड़ी परियोजनाओं को अब ज्यादा आसानी से कर्ज दे सकेगी. विलय के बाद एसबीआइ ग्राहक संख्या के हिसाब (50 करोड़ ग्राहक) से दुनिया का सबसे बड़ा बैंक हो जाएगा जबकि 22,500 शाखाओं के हिसाब से यह दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा बैंक होगा.
भारतीय स्टेट बैंक:
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) भारत की सबसे बड़ी एवं सबसे पुरानी बैंक है. 2 जून 1806 को कलकत्ता में 'बैंक ऑफ़ कलकत्ता' की स्थापना हुई थी. तीन वर्षों के पश्चात इसको चार्टर मिला तथा इसका पुनर्गठन बैंक ऑफ़ बंगाल के रूप में 2 जनवरी 1809 को हुआ. 1 जुलाई 1944 को स्टेट बैंक आफ़ इंडिया की स्थापना की गई. इसका मुख्यालय मुंबई में है. एसबीआई देश भर में 24 हजार शाखाएं और 59 हजार एटीएम संचालित कर रहा है.
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