18 साल से अधिक उम्र का व्यक्ति अपनी मर्जी से धर्म चुनने के लिए स्वतंत्र: सुप्रीम कोर्ट

Apr 12, 2021, 15:35 IST

सुप्रीम कोर्ट ने काला जादू और जबरन धर्मांतरण को नियंत्रित करने हेतु केंद्र को निर्देश देने के अनुरोध संबंधी याचिका पर सुनवाई से इनकार करते हुए कहा कि 18 वर्ष से अधिक उम्र का व्यक्ति अपना धर्म चुनने के लिए स्वतंत्र है.

Persons above 18 years free to choose their religion: Supreme Court in Hindi
Persons above 18 years free to choose their religion: Supreme Court in Hindi

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में अवैध तरीके से धर्म परिवर्तन के खिलाफ दायर की गई याचिका को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई से 09 अप्रैल को इनकार करते हुए कहा कि 18 वर्ष से अधिक उम्र का व्यक्ति अपना धर्म चुनने हेतु स्वतंत्र है.

सुप्रीम कोर्ट ने काला जादू और जबरन धर्मांतरण को नियंत्रित करने हेतु केंद्र को निर्देश देने के अनुरोध संबंधी याचिका पर सुनवाई से इनकार करते हुए कहा कि 18 वर्ष से अधिक उम्र का व्यक्ति अपना धर्म चुनने के लिए स्वतंत्र है.

जस्टिस आर एफ नरीमन, जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस ऋषिकेष रॉय की पीठ ने याचिकाकर्ता वकील अश्विनी उपाध्याय की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता शंकरनारायण से कहा कि अनुच्छेद 32 के तहत यह किस तरह की याचिका है. हम आप पर भारी जुर्माना लगाएंगे. आप अपने जोखिम पर बहस करेंगे.

याचिका में क्या कहा गया?

याचिका में कहा गया था कि गरीब, अशिक्षित लोगों का काला जादू और अंधविश्वास का डर दिखाकर धर्म परिवर्तन किया जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने इस पर कहा कि ये याचिका प्रसार के उद्देश्य से दाखिल की गई है.

अपना धर्म चुनने का अधिकार

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि देश में 18 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को अपना धर्म चुनने का अधिकार है और देश का संविधान उन्हें ये अधिकार देता है. इस याचिका को वकील अश्विनी उपाध्याय की तरफ से दायर किया गया था और इसे न्यायमूर्ति आर एफ नरिमन ने याचिका पर कड़ी नाराजगी जताई. वहीं बेंच ने याचिकाकर्ता पर भारी जुर्माना लगाने की भी धमकी दी, जिसके बाद याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका वापस ले ली.

प्रतिवेदन दायर करने की अनुमति

पीठ ने कहा कि 18 साल से ज्यादा आयु वाले किसी व्यक्ति को उसका धर्म चुनने की अनुमति नहीं देने का कोई कारण नहीं हैं. पीठ ने शंकरनारायण से कहा कि संविधान में प्रचार शब्द को शामिल किए जाने के पीछे कारण है. इसके बाद शंकरनारायण ने याचिका वापस लेने और सरकार एवं विधि आयोग के समक्ष प्रतिवेदन दायर करने की अनुमति मांगी.

Vikash Tiwari is an content writer with 3+ years of experience in the Education industry. He is a Commerce graduate and currently writes for the Current Affairs section of jagranjosh.com. He can be reached at vikash.tiwari@jagrannewmedia.com
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