रेल मंत्रालय ने 'रेल सहयोग' पोर्टल लॉन्च किया

Sep 12, 2018, 12:43 IST

यह वेब पोर्टल सीएसआर (कॉरपोरेट सामाजिक दायित्‍व) कोष के जरिए रेलवे स्‍टेशनों पर एवं इनके निकट सुविधाओं के सृजन में योगदान के लिए एक प्‍लेटफॉर्म सुलभ कराएगा.

Piyush Goyal launches a web portal “Rail Sahyog”
Piyush Goyal launches a web portal “Rail Sahyog”

केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल ने 11 सितम्बर 2018 को 'रेल सहयोग' पोर्टल लॉन्च किया. यह पोर्टल भारतीय रेलवे का एक खास मंच होगा, जिसके जरिए देश के कारोबारी समूह अपने सामाजिक दायित्वों का निर्वाह रेल के माध्यम से कर सकेंगे.

रेलवे ने वर्ष 2022 तक ‘नए भारत’ के निर्माण हेतु प्रधानमंत्री के विजन से प्रेरित होकर अपने बुनियादी ढांचे, प्रौद्योगिकी, साफ-सफाई इत्‍यादि में बेहतरी के लिए अनगिनत पहल कर रही है, ताकि यात्रियों को अपने सफर के दौरान सुखद अनुभव हो सके.

‘रेल सहयोगपोर्टल से संबंधित मुख्य तथ्य:

•   यह वेब पोर्टल सीएसआर (कॉरपोरेट सामाजिक दायित्‍व) कोष के जरिए रेलवे स्‍टेशनों पर एवं इनके निकट सुविधाओं के सृजन में योगदान के लिए एक प्‍लेटफॉर्म सुलभ कराएगा.

•   इस पोर्टल की अनोखी खूबी इसकी सादगी और पारदर्शिता है. यह पोर्टल उद्योग जगत/कंपनियों/संगठनों को रेलवे के साथ सहयोग करने का उत्तम अवसर प्रदान करेगा.

•   यह पोर्टल न केवल यात्रियों के लिए, बल्कि रेलवे के आसपास के क्षेत्रों के लिए भी लाभदायक साबित होगा.

•   रेलवे 'रेल सहयोग' नामक एक अलग पोर्टल के माध्यम से निजी कंपनियों को स्टेशन परिसर में यात्रियों के लिए सुविधाएं मुहैया कराने के वास्ते अपना सीएसआर कोष से धन देने के लिए आमंत्रित करेगा.

•   रेल सहयोग के माध्यम से कारोबारी समूह भारत के रेलवे स्टेशनों पर अलग-अलग जन सुविधाओं के लिए अपना योगदान दे सकेंगे. कारोबारी समूह एवं सरकारी कंपनियां रेल यात्रियों के लिए पानी, शौचालय, विश्राम गृह, बैठने की सुविधाएं, वेटिंग रूम, प्रकाश व्यवस्था सहित तमाम सुविधाओं के लिए पैसा लगा सकेंगे.

•   सभी स्टेशनों पर शौचालयों का निर्माण और वहां कंडोम वेंडिंग मशीन लगाना, कम लागत वाले सैनिटरी पैड वेंडिंग मशीन, हॉटस्पॉट लगाकर स्टेशनों पर मुफ्त वाईफाई सेवा देना तथा एक साल के लिए इनके आरंभिक रखरखाव की व्‍यवस्‍था होगी.

•   पर्यावरणीय की दृष्टि से 2175 प्रमुख स्टेशनों पर बोतल क्रशिंग मशीनों की स्थापना भी एक और गतिविधि है. रेलवे यात्रियों द्वारा छोड़ी गई खाली प्लास्टिक की बोतलों को प्लास्टिक प्रदूषण का प्रबंधन करने के लिए इन मशीनों में कुचल दिया जाएगा. इसकी लागत लगभग 3.5 लाख से 4.5 लाख रुपये है.

इच्छुक कंपनी:

इसमें योगदान के लिए इच्‍छुक कंपनियां अपने अनुरोधों के पंजीकरण के जरिए इस पोर्टल पर अपनी इच्‍छा जाहिर कर सकती हैं. इन अनुरोधों की प्रोसेसिंग रेलवे के अधिकारीगण करेंगे. ‘पहले आओ, पहले पाओ’ के सिद्धांत के आधार पर इन अनुरोधों की छटनी की जाएगी और चयनित आवेदकों को रेलवे या नामित एजेंसियों जैसे कि राइट्स/रेलटेल इत्‍यादि के यहां संबंधित धनराशि जमा करने के बारे में सूचित कर दिया जाएगा. इसके बाद नामित एजेंसी संबंधित कार्य को पूरा करेगी.

यह भी पढ़ें: रेलवे ग्रुप डी (Railway Group D): डेली करेंट अफेयर्स प्रैक्टिस सेट और स्टडी मटेरियल

 

Vikash Tiwari is an content writer with 3+ years of experience in the Education industry. He is a Commerce graduate and currently writes for the Current Affairs section of jagranjosh.com. He can be reached at vikash.tiwari@jagrannewmedia.com
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