केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने 13 अप्रैल 2021 को ई-संता (e-santa) का उद्घाटन किया. ई-सांता एक ऐसा बाजार है जो एकुआ किसानों यानी मत्स्य पालकों और संबंधित खरीददारों को इलैक्ट्रॉनिक मार्केटिंग सुविधा का मंच उपलब्ध करायेगा.
अब समुद्र से मछली पकड़ने वालों को बेहतर कीमत मिल सकेगी. अब वे अपने समुद्री उत्पादों की बिक्री सीधे निर्यातक को कर सकेंगे. इसके लिए सरकार ने एक ई कामर्स पोर्टल ई-संता (e-santa) शुरू किया है. ई-सैंटा, समुद्री उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण का ही एक अंग है.
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने क्या कहा?
इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि ई-संता से एकुआ किसानों की आय में वृद्धि होगी, उनकी जीवन शैली बेहतर होगी, उनमें आत्मनिर्भरता के प्रति जागरूकता आयेगी और गुणात्मक सुधार के नये विकल्प उपलब्ध होंगे. उन्होंने कहा कि ई-संता मंच से परंपरागत व्यापार के ढंग बदलेंगे और बिचौलियों से भी छुटकारा मिलेगा. ई-संता प्लेटफार्म विभिन्न भाषाओं में उपलब्ध है, जिससे स्थानीय लोगों को लाभ पहुंचेगा. उन्होंने कहा कि अब हमारे किसान इस मंच के जरिये आसानी से अपने उत्पादन बेच सकते हैं.
मछली और जल किसानों को आजादी
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा यह मंच मछली और जल किसानों को आजादी, विकल्प और अवसर उपलब्ध कराएगा. इससे विक्रेताओं खरीदार दोनों के लिये निष्पक्ष मूल्य सुनिश्चित हो सकेगा.
भविष्य में एक नीलामी मंच
पीयूष गोयल के मुताबिक ई-संता सामूहिक रूप से उत्पादों को खरीदने वाले, मछुआरों एवं मत्स्य उत्पादक संगठनों को एक साथ लाने का एक माध्यम बन सकता है, और इससे भारत एवं विश्व के लोग ये जान सकते हैं कि क्या उपलब्ध है. यह भविष्य में एक नीलामी मंच भी बन सकता है.
रेटिंग प्रणाली तैयार
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने सुझाव दिया कि समुद्री उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण को पोर्टल खरीदार और विक्रेता दोनों के लिये रेटिंग प्रणाली तैयार करनी चाहिए. इससे कोई भी रेटिंग देख सकेगा और उसके अनुसार निर्णय कर सकेगा. फिलहाल 18,000 किसान हैं जो देश के समुद्री उत्पादों के निर्यात में योगदान दे रहे हैं.
ई संता क्या है?
ई संता (जिसक मतलब मंडी या बाजार) बाजार विभाजन को समाप्त करने के लिए एक डिजिटल ब्रिज है और यह बिचौलियों को खत्म करके किसानों एवं खरीदारों के बीच एक वैकल्पिक विपणन उपकरण के रूप में काम करेगा. इस पर किसानों को अपनी उपज को सूचीबद्ध करने और उनकी कीमत को तय करने की आजादी है.
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