केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने 29 जून 2020 को “आत्मनिर्भर भारत अभियान” के एक भाग के रूप में पीएम फॉरमलाइजेशन ऑफ माइक्रो फूड प्रोसेसिंग एंटरप्राइजेज (पीएम एफएमई) योजना की शुरुआत की.
केन्द्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि योजना से कुल 35,000 करोड़ रुपये का निवेश होगा और 9 लाख कुशल और अर्ध-कुशल रोजगार सृजित होंगे और सूचना, प्रशिक्षण, बेहतर प्रदर्शन और औपचारिकता तक पहुंच के माध्यम से 8 लाख इकाइयों को लाभ होगा. इस अवसर पर योजना के दिशा-निर्देश जारी किए गए.
केन्द्रीय मंत्री ने स्थानीय खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि गांवों में ग्रामीण उद्यमियों द्वारा निर्मित खाद्य उत्पादों में स्थानीय आबादी को भारतीय खाद्य उत्पादों की आपूर्ति करने की लंबी परम्परा रही है. प्रधानमंत्री ने 12 मई 2020 को राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में इन स्थानीय इकाइयों के महत्व और उनकी भूमिका पर जोर दिया.
रोजगार में 74 प्रतिशत योगदान
केन्द्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री ने कहा कि लगभग 25 लाख इकाइयों वाले असंगठित खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र इस क्षेत्र में रोजगार में 74 प्रतिशत योगदान देते हैं. इनमें से लगभग 66 प्रतिशत इकाइयाँ ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित हैं और उनमें से करीब 80 प्रतिशत परिवार-आधारित उद्यम हैं जो ग्रामीण परिवारों की आजीविका में सहायता करते हैं और शहरी क्षेत्रों में कम से कम पलायन करते करते हैं.
योजना का उद्देश्य
ग्रामीण भारत में स्थानीय असंगठित खाद्य इकाइयों को सहायता प्रदान करने हेतु सरकार द्वारा योजना शुरू की गई है. इस योजना का मुख्य उद्देश्य देश भर में 8 लाख इकाइयों को रोजगार देना और साथ ही साथ मात्रा में उत्पादकता में वृद्धि करना है. यह योजना मौजूदा सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों के उन्नयन पर काम करेगी.
खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में कई चुनौतियां
केन्द्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री ने खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के सामने उत्पनन चुनौतियों के बारे में बोलते हुए कहा कि असंगठित खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र कई चुनौतियों का सामना करता है जो उनके प्रदर्शन और उनके विकास को सीमित करते हैं. उन्होंने कहा कि इन चुनौतियों में आधुनिक प्रौद्योगिकी और उपकरण तक पहुंच की कमी, प्रशिक्षण, संस्थागत ऋण तक पहुंच, उत्पादों की गुणवत्ता नियंत्रण पर बुनियादी जागरूकता की कमी; और ब्रांडिंग और मार्केटिंग कौशल आदि की कमी शामिल है.
पीएम एफएमई योजना के बारे में
मौजूदा सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों के उन्नयन के लिए वित्तीय, तकनीकी और व्यावसायिक सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय (एमओएफपीआई) ने अखिल भारतीय स्तर पर एक “केन्द्र प्रायोजित पीएम फॉर्मलाइजेशन ऑफ माइक्रो फूड प्रोससिंग एंटरप्राइज (पीएम एफएमई) योजना” की शुरूआत की जिसे 10,000 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ 2020-21 से 2024-25 तक पांच वर्षों की अवधि में लागू किया जाएगा.
इस योजना के तहत खर्च केन्द्र और राज्य सरकारों के बीच 60:40 के अनुपात में, पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों के साथ 90:10 के अनुपात में, संघ शासित प्रदेशों के साथ 60:40 के अनुपात में और अन्य केन्द्र शासित प्रदेशों के लिए केन्द्र द्वारा 100 प्रतिशत साझा किया जाएगा.
यह योजना निवेश के प्रबन्ध, आम सेवाओं का लाभ उठाने और उत्पादों के विपणन के मामले में बड़े पैमाने पर लाभ उठाने के लिए एक जिला एक उत्पाद (ओडीओडीपी) के दृष्टिकोण को अपनाती है. राज्य मौजूदा समूहों और कच्चे माल की उपलब्धता को ध्यान में रखते हुए एक जिले के लिए खाद्य उत्पाद की पहचान करेंगे. ओडीओपी उत्पाद खराब होने वाला उत्पाद या अनाज आधारित उत्पाद या एक जिले और उनके संबद्ध क्षेत्रों में व्यापक रूप से उत्पादित खाद्य उत्पाद हो सकता है.
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