भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन दिन की अधिकारिक की यात्रा पर 04 जुलाई 2017 को इज़रायल पहुंचे. इज़रायल पहुंचने पर पीएम मोदी के भव्य स्वागत में इज़रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू प्रोटोकॉल तोड़कर अपने वरिष्ठ मंत्रियों के साथ मोदी की अगवानी करने पहुंचे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने स्वागत के प्रति आभार व्यक्त किया जबकि नेतन्याहू ने मोदी को दोस्त कहकर संबोधित किया. गौरतलब है कि किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री की यह पहली इज़राइल यात्रा है. प्रधानमंत्री मोदी के स्वागत में एयरपोर्ट पर राष्ट्रगान बजाया गया तथा
रेड कारपेट बिछाया गया. एयरपोर्ट पर हुए 40 मिनट के कार्यक्रम में दोनों देशों के नेता तीन बार गले मिले.
मोदी की इज़राइल यात्रा के मुख्य बिंदु
• भारत के किसी भी प्रधानमन्त्री द्वारा पिछले 70 वर्षों में पहली इज़राइल यात्रा है.
• प्रधानमन्त्री मोदी इज़राइल में 48 घंटों के दौरान 18 तयशुदा कार्यक्रमों में भाग लेंगे.
• इज़राइली प्रधानमंत्री ने पीएम मोदी का स्वागत करते हुए हिंदी में कहा – “आपका स्वागत है मरे दोस्त. हमें इस दौरे का 70 साल से इंतज़ार था.”
• पीएम मोदी एयरपोर्ट से सीधे नेतन्याहू के साथ मिशहमार हाशिवा में दांजिगेर फूलों के फार्म देखने के लिए रवाना हुए, जहां उन्हें बागवानी के लिए इस्तेमाल की जाने वाली नवीनतम तकनीक के बारे में जानकारी दी गयी.
• दांजिगेर फ्लॉवर फार्म इज़रायल की एक प्रमुख बागवानी कंपनियों में से एक है जो करीब 80 हजार वर्ग मीटर क्षेत्र में फैले फार्म में आधुनिक ग्रीन हाउसों में पौधों के पुन: उत्पादन के क्षेत्र में विशेषज्ञता रखती है.
• प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इज़रायल के 'येद वाशेम होलोकॉस्ट' स्मारक का दौरा किया और नरसंहार के पीड़ितों को श्रद्धांजलि अपर्ति की.
• यह नरसंहार मानवीय इतिहास की सबसे बड़ी त्रासदियों में से एक है जिसमें हिटलर द्वारा करीब 60 लाख यहूदियों को मार दिया गया था.
• मोदी और नेतन्याहू ने एक संयुक्त साझा प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित किया जिसमें दोनों देशों ने आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता का परिचय दिया.
भारत-इज़राइल संबंध
भारत-इज़राइल सम्बन्ध भारतीय लोकतंत्र तथा इज़राइल राज्य के मध्य द्विपक्षीय संबंधो को दर्शाता है. वर्ष 1992 तक भारत तथा इज़राइल के मध्य किसी प्रकार के सम्बन्ध नहीं रहे. इसके मुख्यतः दो कारण थे- पहला, भारत गुट निरपेक्ष राष्ट्र था जो की पूर्व सोवियत संघ का समर्थक था तथा दूसरे गुट निरपेक्ष राष्ट्रों की तरह इजराइल को मान्यता नहीं देता था. दूसरा मुख्य कारण भारत फिलिस्तीन की आज़ादी का समर्थक रहा है. मई 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की जीत के बाद भारत और इसराइल के संबंध नए स्तर तक पहुंच गए हैं. अब तक भारत ने इज़राइल के लगभग 08 सैनिक उपग्रहों को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के माध्यम से प्रक्षेपित किया है.
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