प्रसिद्ध गुजराती साहित्यकार रघुवीर चौधरी को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा 11 जुलाई 2016 को वर्ष 2015 के ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया. रघुवीर चौधरी को 51वां ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला है.
रघुवीर चौधरी साहित्यकार, कवि, नाटककार जैसी अन्य साहित्यिक विधाओं में अपनी पहचान बना चुके हैं. वे पत्र-पत्रिकाओं से भी स्तंभकार के तौर पर जुड़े रहे एवं आलोचक के रूप में भी उन्हें जाना जाता है.
रघुवीर चौधरी
• रघुवीर चौधरी का जन्म 5 दिसंबर 1938 को गांधीनगर के निकट बापूपुरा में हुआ.
• 80 से अधिक पुस्तकें लिख चुके चौधरी को साहित्य अकादमी पुरस्कार भी मिल चुका है.
• वर्ष 1977 में उनकी कृति ‘उप्रवास कथात्रयी' के लिए उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया.
• उनकी प्रसिद्ध रचनाओं में अमृता, अन्तर्वास, पूर्वरंग, वेणु वात्सल (उपन्यास), तमाशा और वृक्ष पतनमा (कविता संग्रह) प्रमुख हैं.
• उनकी रचनाओं में गोवर्धनराम त्रिपाठी, काका कालेलकर, सुरेश जोशी, प्रो. रामदरश मिश्रा और प्रो. जी. एन. डिकी का प्रभाव दिखाई देता है.
• रघुवीर चौधरी से पूर्व गुजराती लेखकों की सूची में यह पुरस्कार उमा शंकर जोशी (1967), पन्नालाल पटेल (1985) और राजेंद्र शाह (2001) को प्रदान किया गया.
• वर्ष 2014 का ज्ञानपीठ पुरस्कार मराठी साहित्यकार भालचंद्र नेमाड़े को प्रदान किया गया था.
ज्ञानपीठ पुरस्कार
भारतीय ज्ञानपीठ की ओर से वार्षिक आधार पर दिया जाने वाला यह पुरस्कार संविधान की आठवीं अनुसूची में वर्णित 22 भारतीय भाषाओं में लेखन कार्य करने वाले साहित्यकार को उसके जीवनभर के साहित्यिक योगदान को देखते हुए दिया जाता है. इसके तहत साहित्यकारों को नकद पुरस्कार, एक प्रशस्ति पत्र और सरस्वती की प्रतिमा प्रदान की जाती है.
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