राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 14 मार्च 2018 को मॉरिशस में अपने दौरे के तीसरे दिन विश्व हिंदी सचिवालय इमारत का उद्घाटन किया. राष्ट्रपति कोविंद ने विश्व हिंदी सचिवालय का लोगो व अर्ली डिजिटल लर्निंग प्रोग्राम लॉन्च करने के साथ ही एक सामाजिक आवास परियोजना और भारतीय मदद से बने ईएनटी के एक बड़े अस्पताल की आधारशिला रखी.
विश्व हिन्दी सचिवालय का एक शासी परिषद (गवर्निंग कौंसिल) तथा एक कार्यकारिणी बोर्ड (एग्ज़िक्यूटिव बोर्ड) है. विश्व हिन्दी सचिवालय का महासचिव इसका एक मुख्य कार्यकारी अधिकारी होता है.
शासी परिषद
विश्व हिन्दी सचिवालय की शासी परिषद में भारत तथा मॉरीशस, दोनों पक्षों, की ओर से 5-5 सदस्य हैं जो निम्नानुसार है:
भारत की ओर से
विदेश मंत्री
मानव संसाधन विकास मंत्री
संस्कृति मंत्री
मॉरीशस के ओर से
विदेश कार्य, अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार एवं सहयोग मंत्री
शिक्षा एवं मानव संसाधन मंत्री
कला एवं संस्कृति मंत्री
पृष्ठभूमि
वर्ष 1975 में नागपुर में आयोजित प्रथम विश्व हिंदी सम्मेलन के दौरान मॉरीशस के तत्कालीन प्रधानमंत्री सर शिवसागर रामगुलाम ने विश्व स्तर पर हिंदी सम्बंधित गतिविधियों के समन्वयन के लिए एक संस्था की स्थापना का विचार रखा. विचार ने मंतव्य का रूप धारण किया और लगातार कई विश्व हिंदी सम्मेलनों में मंथन के बाद मॉरीशस में विश्व हिंदी सचिवालय स्थापित करने पर भारत और मॉरीशस सरकारों के बीच सहमति हुई.
दोनों सरकारों के बीच समझौते पर हस्ताक्षर किये गए तथा मॉरीशस की विधान सभा में अधिनियम पारित पारित किया गया. 11 फ़रवरी, 2008 को विश्व हिंदी सचिवालय ने आधिकारिक रूप से कार्यारम्भ किया. सचिवालय का मुख्य उद्देश्य एक अंतरराष्ट्रीय भाषा के रूप में हिंदी का प्रचार करना तथा हिंदी को संयुक्त राष्ट्र संघ की आधिकारिक भाषा बनाने के लिए एक वैश्विक मंच तैयार करना है.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation