राष्ट्रपति ने अध्यादेश को दी मंजूरी, स्वास्थ्यकर्मियों पर हमला करने वालों को होगी कड़ी सजा

Apr 24, 2020, 10:03 IST

कोरोना महामारी के संकट से निपटने में सबसे आगे लड़ाई लड़ रहे डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्यकर्मियों पर पिछले दिनों हमले की कई घटनाएं सामने आई हैं. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने इन हमलों के ख़िलाफ़ विरोध भी जताया था.

President Ram Nath Kovind nod to promulgate ordinance to punish those attacking healthcare staff in Hindi
President Ram Nath Kovind nod to promulgate ordinance to punish those attacking healthcare staff in Hindi

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 22 अप्रैल 2020 को कोरोना वायरस (कोविड-19) महामारी से लड़ रहे स्वास्थ्यकर्मियों पर हिंसा के कृत्यों को संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध बनाने वाले एक अध्यादेश को अपनी मंजूरी दे दी. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने महामारी कानून-1897 में संशोधन के लिए अध्यादेश को मंज़ूरी दे दी है. इस अध्यादेश के तहत डॉक्टरों और आरोग्यकर्मियों पर हमले करना अब गैर-ज़मानती अपराध होगा.

कोरोना महामारी के संकट से निपटने में सबसे आगे लड़ाई लड़ रहे डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्यकर्मियों पर पिछले दिनों हमले की कई घटनाएं सामने आई हैं. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने इन हमलों के ख़िलाफ़ विरोध भी जताया था. ऐसे में मोदी सरकार ने स्वास्थ्यकर्मियों पर हमले को गम्भीर अपराध बना दिया है.

कैबिनेट ने अध्यादेश को दी मंज़ूरी

मोदी सरकार ने डॉक्टरों पर लगातार हो रहे हमलों को रोकने हेतु एक कड़ा कानून बनाने का फैसला किया है. केंद्रीय कैबिनेट ने कानून को तुरन्त अमल में लाने के लिए हाल ही में एक अध्यादेश को मंजूरी दी. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की मंज़ूरी मिलने के साथ ही कानून अमल में आ जाएगा. अध्यादेश के जरिए महामारी कानून 1897 में बदलाव कर कड़े प्रावधान जोड़े गए हैं.

प्रस्तावित कानून का सबसे महत्वपूर्ण पहलू ये है कि इसमें डॉक्टरों को कोरोना के खिलाफ लड़ाई के चलते मकान मालिकों द्वारा घर छोड़ने जैसी घटनाओं को भी उत्पीड़न मानते हुए एक तरह की सज़ा का प्रावधान किया गया है. कैबिनेट की बैठक के बाद फ़ैसले का घोषणा करते हुए केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि मेडिकल टीमों के खिलाफ हिंसा बर्दाश्त नहीं की जाएगी.

अधिकतम सात साल तक मिलेगी सजा

प्रस्तावित कानून में डॉक्टरों, नर्सों और पैरामेडिक स्टॉफ समेत अन्य सभी स्वास्थ्यकर्मियों पर हमला या उत्पीड़न को संज्ञेय अपराध की श्रेणी में गैर जमानती बना दिया गया है. ऐसे मामलों में मुक़दमा एक महीने में शुरू करने और एक साल के भीतर केस का फैसला हो जाने का प्रावधान किया गया है.

दोषी पाए जाने वालों के लिए कठोर सज़ा का प्रावधान किया गया है. इसका आधार हमले और उत्पीड़न की गम्भीरता को बनाते हुए सज़ा को दो श्रेणी में बांटा गया है. यदि अपराध ज़्यादा गम्भीर नहीं है तो सजा के तौर पर 3 महीने से 5 साल तक की कैद हो सकती है. साथ ही 50 हज़ार से 2 लाख रुपये तक के जुर्माने का भी प्रावधान किया गया है.

वहीं यदि अपराध ज़्यादा गम्भीर है तो 6 महीने से लेकर 7 साल तक कैद की सजा के साथ साथ एक लाख रुपये से 3 लाख रुपये तक के ज़ुर्माने का भी प्रावधान किया गया है. इसके अतिरिक्त अपराधी को पीड़ित को मुआवजा भरना होगा तथा उसे संपत्ति को पहुंचे नुकसान के लिए उसके बाजार मूल्य का दोगुना का भुगतान करना होगा.

पृष्ठभूमि

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने महामारी के दौरान स्वास्थ्य कर्मियों तथा संपत्ति की रक्षा के लिए महामारी रोग (संशोधन) अध्यादेश 2020 की उद्घोषणा को मंजूरी दी थी. केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कैबिनेट बैठक के बारे में बताया था कि सरकार डॉक्टरों और नर्सों पर हमला बर्दाश्त नहीं करेगी. केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि 22 अप्रैल 2020 को गृह मंत्री अमित शाह और केंद्रीय स्वास्‍थ्‍य मंत्री हर्षवर्धन ने स्‍वास्‍थ्‍यकर्मियों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बात की थी. डॉक्टरों ने मांग की थी कि कोरोना काल में उनकी सुरक्षा हेतु सरकार कानून लाए.

Vikash Tiwari is an content writer with 3+ years of experience in the Education industry. He is a Commerce graduate and currently writes for the Current Affairs section of jagranjosh.com. He can be reached at vikash.tiwari@jagrannewmedia.com
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