केन्द्रीय जल संसाधन मंत्रालय के प्रयासों के बाद पंजाब और जम्मू - कश्मीर के मध्य शाहपुर कंडी बांध निर्माण पर पुन: कार्य आरम्भ करने हेतु समझौते पर हस्ताक्षर किए गए. केन्द्रीय मंत्रालय के आरडी एवं जीआर ने इस समझौते को आगे बढाया.
इस समझौते के बाद सिंधु बेसिन की पूर्वी नदियों पर जल उपयोग के मामले में भारतीय अधिकार मजबूत होंगे. समझौते पर पंजाब के सिंचाई सचिव के.एस. पन्नू और जम्मू एवं कश्मीर के सिंचाई सचिव सौरभ भगत के मध्य केन्द्रीय जल संसाधन सचिव डॉ. अमरजित सिंह की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए गए.
मुख्य तथ्य-
- शाहपुर कंडी बांध निर्माण परियोजना की लागत 2285.81 करोड़ रुपए (अप्रैल, 2008 के कीमत स्तर पर) थी.
- बाद में इसे भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय परियोजना में शामिल कर लिया गया.
- सिंचाई और जलापूर्ति घटक के कार्यों हेतु केन्द्रीय जल संसाधन मंत्रालय, आरडी एवं जीआर 90 प्रतिशत केन्द्रीय सहायता प्रदान करता है.
- शाहपुर कंडी परियोजना का निर्माण मई 1999 में शुरू किया गया किन्तु दोनों राज्यों के मध्य कुछ विवाद पैदा होने के कारण इसका काम वर्ष 2014 में रोक दिया गया.
- केन्द्रीय जल संसाधन मंत्रालय, आरडी एवं जीआर ने दोनों राज्यों के मध्य विवाद सुलझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी. जिसके परिणाम पंजाब और जम्मू कश्मीर के मध्य समझौते के रूप में सामने आया.
समझौते के बारे में-
- परियोजना के स्वरूप पर दोनों राज्यों के मध्य पहले से ही सहमति है.
- जम्मू एवं कश्मीर के 1150 क्यूसेक पानी की आवश्यक हिस्सेदारी के लिए समवर्ती मॉडल का अध्ययन किया जाएगा, यह दोनों राज्यों हेतु बाध्यकारी होगा.
- परियोजना का क्रियान्वयन पंजाब सरकार द्वारा जारी रखा जाएगा.
- परियोजना की निगरानी हेतु सीडब्ल्यूसी की अध्यक्षता में एक त्रिपक्षीय समिति की गठित की जाएगी.
- त्रिपक्षीय समिति महीने में कम से कम एक बार बैठक कर कार्य की समीक्षा करेगी.
- त्रिपक्षीय समिति में पंजाब और जम्मू एवं कश्मीर के दोनों मुख्य इंजीनियर के अलावा दो अन्य सदस्य होंगे.
- समझौते के अनुसार थेइन बांध हेतु भूमि अधिग्रहण के एवज में बकाये मुआवजे की राशि का भगुतान पंजाब सरकार को करना होगा.
- दोनों राज्यों के पी एंव आर समझौते के अनुपालन में पलायन के शिकार लोगों को भी पंजाब सरकार रोजगार मुहैया कराएगी.
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