राजस्थान विधानसभा ने 09 मार्च 2018 को सर्वसम्मति से एक विधेयक पारित किया जिसके तहत 12 साल या उससे कम उम्र की बच्चियों के साथ दुष्कर्म के अभियुक्तों को मृत्युदंड का प्रावधान है.
राज्य में बढ़ रहे आपराधिक मामलों को देखते हुए यह विधेयक पारित किया गया. राजस्थान सरकार का मानना है कि इस विधेयक से दोषियों को कठोर दंड मिल सकेगा तथा अपराध में कमी भी सुनिश्चित की जा सकेगी.
विधेयक के मुख्य बिंदु
• राजस्थान विधानसभा में शुक्रवार को दण्ड विधियां (राजस्थान संशोधन) विधेयक, 2018 ध्वनिमत से पारित कर दिया गया.
• विधेयक को कानूनी अमलीजामा पहनाने के बाद राजस्थान मध्यप्रदेश के बाद दूसरा राज्य होगा जहां 12 साल या उससे कम उम्र की लड़कियों से दुष्कर्म के लिए प्राणदंड का प्रावधान होगा.
• भारतीय दंड संहिता की धारा 376-एए संलग्न करके 12 से कम उम्र की बच्चियों के साथ दुष्कर्म करने वालों के लिए मृत्युदंड या कठोर सजा का प्रावधान किया गया है.
• कठोर सजा की सूरत में यह 14 साल से कम नहीं होगी और उससे ऊपर आजीवन कारावास तक हो सकता है.
• सामूहिक दुष्कर्म के मामले में धारा 376-डीडी जोड़ा गया है, जिसके तहत समूह में शामिल हर व्यक्ति को दोषी करार दिया जाएगा.
इस कानून के बनने के बाद राज्य में 12 साल से कम उम्र की बच्चियों के साथ दुष्कहर्म करने के आरोपी को फांसी की सजा सुनाई जा सकेगी. हरियाणा, महाराष्ट्र और कर्नाटक सरकार भी ऐसा ही कानून बनाने की तैयारी में हैं. हरियाणा में इससे जुड़े प्रावधान को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है. गौरतलब है कि राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने बजट भाषण के दौरान घोषणा की थी कि बच्चियों से रेप करने के आरोपी को सख्त से सख्त सजा देने का प्रावधान किया जाएगा.
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