भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 01 अगस्त 2018 को मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में ब्याज दरें बढ़ाने की घोषणा की. आरबीआई ने लगातार दूसरी बार नीतिगत दरों में इजाफा किया है.
आरबीआई की अगली बैठक 3 अक्टूबर से 5 अक्टूबर को होगी. इस बैठक में नीतिगत दरों बढ़ाने का फैसला 5:1 के आधार पर लिया गया है.
आरबीआई द्वारा रेपो रेट:
आरबीआई ने रेपो रेट और 25 बेसिस प्वाइंट यानी 0.25 फीसदी बढ़ाकर 6.5 फीसदी कर दिया है.
रेपो रेट क्या है?
रेपो रेट वह दर होती है जिस पर बैंकों को आरबीआई कर्ज देता है. जब भी बैंकों के पास कोष की कमी होती है, तो वे इसकी भरपाई करने के लिए केंद्रीय बैंक से पैसे लेते हैं. रिजर्व बैंक की तरफ से दिया जाने वाला यह कर्ज जिस दर पर मिलता है, वही रेपो रेट कहलाता है. इसे हमेशा से रिजर्व बैंक ही तय करता है. रेपो रेट में कटौती या बढ़ोतरी करने का फैसला मौजूदा और भविष्य में अर्थव्यवस्था के संभावित हालात के आधार पर लिया जाता है.
आरबीआई द्वारा रिवर्स रेपो रेट:
रिवर्स रेपो रेट को बढ़ाकर 6.25 फीसदी कर दिया है. रिवर्स रेपो रेट पहले 6 फीसदी थी.
रिवर्स रेपो रेट क्या है?
यह वह दर होती है जिस पर बैंकों को उनकी ओर से आरबीआई में जमा धन पर ब्याज मिलता है. रिवर्स रेपो रेट बाजारों में नकदी की तरलता को नियंत्रित करने में काम आती है. बाजार में जब भी बहुत ज्यादा नकदी दिखाई देती है, आरबीआई रिवर्स रेपो रेट बढ़ा देता है, ताकि बैंक ज्यादा ब्याज कमाने के लिए अपनी रकमे उसके पास जमा करा दे.
एमएसएफ:
अब इस वृद्धि के बाद मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (एमएसएफ) दर 6.75 फीसदी और बैंक दर 6.75 फीसदी हो गयी है.
एमएसएफ क्या है?
एमएसएफ (Marginal Standing Facility) वह न्यूनतम दर है जिस पर बैंक अपने ग्राहकों को ब्याज पर ऋण देती है.
बैंक दर क्या है?
बैंक दर वह दर है जिस पर केंद्रीय बैंक व्यापारिक बैंको को प्रथम श्रेणी की प्रतिभूतियों पर कर्ज प्रदान करता है.
सीआरआर और एसएलआर:
हालांकि, नकद आरक्षी अनुपात (सीआरआर) और वैधानिक तरलता अनुपात (एसएलआर) में कोई बदलाव नहीं किया गया है. मौजूदा सीआरआर की दर 4 फीसदी और एसएलआर 19.5 फीसदी है.
सीआरआर क्या है?
देश में लागू बैंकिंग नियमों के अंतर्गत प्रत्येक बैंक को अपनी कुल नकदी का एक निश्चित हिस्सा आरबीआई के पास रखना होता है. इसे ही नकद आरक्षित अनुपात (cash reserve ratio) कहते हैं.
एसएलआर क्या है?
जिस दर पर बैंक अपना पैसा सरकार के पास रखते है, उसे एसएलआर (statutory liquidity ratio) कहते हैं. नकदी की तरलता को नियंत्रित करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है.
आरबीआई ने क्यों बढ़ाईं ब्याज दरें?
आरबीआई की ओर से नीतिगत दरों में इजाफे की पर्याप्त वजह बढ़ती महंगाई, एमएसपी, मानसून इत्यादि बताई गयी है. आरबीआई के अनुसार कई क्षेत्रों में महंगाई बढ़ी है, ट्रेड वार से निर्यात पर असर पड़ा है और डॉलर की मजबूती से कैपिटल फ्लो में कमी आई है. आरबीआई का मानना है कि वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें चिंता का विषय हैं.
महंगाई का अनुमान:
आरबीआई ने जुलाई-सितंबर तिमाही के लिए 4.2 फीसदी की दर से महंगाई का अनुमान लगाया है. वहीं अक्टूबर-मार्च छमाही के दौरान इसके 4.8 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है.
मौद्रिक नीति समिति:
भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति हर दो महीने में बैठक करती है. इस बैठक में अर्थव्यवस्था के हालातों को देखकर ब्याज दरें बढ़ाने, घटाने या उनमें कोई बदलाव न करने का फैसला लिया जाता है.
विकास दर:
केन्द्रीय बैंक ने वित्त वर्ष 2018-19 के लिए अर्थव्यवस्था विकास दर के अनुमान को 7.4 फीसदी पर बरकरार रखा है. इस वर्ष पहली छमाही अप्रैल-सितंबर के बीच 7.5-7.6 फीसदी की विकास दर रहने का अनुमान है, जबकि दूसरी छमाही के दौरान 7.3-7.4 फीसदी के बीच रहने का अनुमान है.
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