भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) द्वारा 7 दिसंबर 2016 को पांचवां द्विमासिक मौद्रिक नीति वक्तव्य जारी किया गया.
इसके अनुसार यह सुनिश्चित किया गया कि चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) के नीति रेपो दर 6.25 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखी जाए. चलनिधि समायोजना सुविधा (एलएएफ) के अंतर्गत प्रतिवर्ती रेपो दर 5.75 प्रतिशत और सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) दर तथा बैंक दर 6.75 पर अपरिवर्तित रहेंगी.
अर्थव्यवस्था का आकलन
• वर्ष 2016 की पहली छमाही में कमजोरी के बाद वैश्विक वृद्धि ने दूसरी छमाही में गति पकड़ी. अमेरिका में स्थिति के उल्टा होने से उन्नत अर्थव्यवस्थाओं (एई) में गतिविधि में झिझक के साथ सुधार हुआ.
• अमेरिका, जापान और चीन में प्रत्यवस्फीति (रिफ्लेशनरी) राजकोषीय नीतियों की संभावनाओं और मंदी के समय में उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं पर नीचे की ओर दबावों के कम होने की गति यूरो क्षेत्र और यूके में वर्तमान में व्याप्त राजनीतिक जोखिमों से धीमी हो गई.
• अंतरराष्ट्रीय वित्तीय बाजार पर अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव और आगामी आंकड़ों के परिणाम का बहुत अधिक प्रभाव पड़ा जिन्होंने फेडरल रिज़र्व द्वारा कड़ा मौद्रिक रुख अपनाने की संभावना बढ़ा दी.
• अमेरिकी चुनाव के परिणामों के मद्देनजर मांग संभावना में सुधार होने से नवंबर के मध्य से सभी जगह स्वर्ण को छोड़कर पण्य–वस्तुओं की कीमतें बढ़ गई.
• घरेलू मोर्चे पर, औद्योगिक गतिविधि में अपेक्षा से अधिक मंदी के कारण वर्ष 2016-17 की दूसरी तिमाही में जीवीए की वृद्धि अनुमान की अपेक्षा ज्यादा कम रही.
• तीसरी तिमाही पर बात करते हुए, समिति ने महसूस किया कि विनिर्दिष्ट बैंक नोटों (एसबीएन) के वापस लेने से अभी भी प्रकट प्रभावों द्वारा किए गए आकलन पर बादल छाए हुए हैं.
• प्रमुख फसलों में रबी की बुआई के अंतर्गत रकबे में स्थिर विस्तार होने से पिछले वर्ष की तुलना में दूसरी तिमाही में कृषि का मजबूत निष्पादन होना चाहिए.
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