भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने नियमों में अनदेखी करने के कारण 29 मार्च 2018 को आईसीआईसीआई बैंक पर 58.9 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है. विभिन्न नियमों के उल्लंघन पर नियामक द्वारा किसी भी बैंक पर लगाया गया यह सबसे भारी जुर्माना है. रिजर्व बैंक ने कहा कि यह कदम नियामकीय प्रावधान का पालन नहीं करने पर उठाया गया है.
मुख्य तथ्य:
• यह जुर्माना केंद्रीय बैंक ने एचटीएम पोर्टफोलियो से प्रतिभूतियों की प्रतियक्ष बिक्री से जुड़े दिशानिर्देशों के उल्लंघन के चलते लगाया गया है.
• बैंकों के लिए एचटीएम सेगमेंट के तहत रखी गई सिक्योरिटीज की राशि (जिनके लिए पेपर्स को परिपक्वता तक रखा जाता है और इंट्रा डे ट्रेडिंग के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाता) के बारे में बताना अनिवार्य होता है.
• आरबीआई बैंकों को एचटीएम से सिक्योरिटीज को बेचने की स्वतंत्रता कुछ शर्तों और डिस्क्लोजर नियमों के तहत देता है.
• आरबीआई की ओर से कहा गया है कि सभी बैंकों को सरकारी प्रतिभूतियों में अपनी कुल जमा राशि का 19.5 फीसदी हिस्सा अनिवार्य रूप से वैधानिक नकदी अनुपात (एसएलआर) के रूप में रखा जाना चाहिए.
• आईसीआईसीआई बैंक ने कहा कि इस मामले में रिजर्व बैंक के दिशानिर्देशों की व्यावहारिकता के समय के बारे में गलतफहमी के कारण नियमों का उल्लंघन हुआ है.
आरबीआई ने कहा कि उसने 31 मार्च 2017 को समाप्त हुई तिमाही के दौरान कुछ सप्ताह तक हेल्ड-टू-मैच्योरिटी (एचटीएम) प्रतिभूतियों की बिक्री की थी. उल्लेखनीय है कि एचटीएम श्रेणी के प्रतिभूतियों को परिपक्व होने तक रखने की जरूरत होती है.
यदि इस श्रेणी के प्रतिभूतियों की बिक्री एचटीएम के लिए आवश्यक निवेश के पांच प्रतिशत से अधिक हो जाए तो बैंक को सालाना वित्तीय परिणाम में इसका खुलासा करना होता है.
बैंक को यह भी बताने की जरूरत होती है कि एचटीएम निवेश का बाजार मूल्य क्या था और बही-खाते पर दर्ज मूल्य एवं बाजार मूल्य में क्या अंतर था.
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