भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के केन्द्रीय निदेशक मंडल की केंद्र सरकार के साथ बैठक में केन्द्रीय बैंक के इकॉनोमिक कैपिटल फ्रेमवर्क के अध्ययन के लिए विशेषज्ञ समिति बनाने का निर्णय लिया गया है.
करीब नौ घंटे तक चली इस मैराथन बैठक में आरबीआई बोर्ड ने बेसल फ्रेमवर्क सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों के जोखिम में फंसे ऋण पुनर्गठन और प्रॉन्प्ट करेक्टिव एक्शन के तहत बैंकों की वित्तीय स्थिति पर चर्चा की गई.
बैठक के बाद आरबीआई की ओर से जारी जानकारी में कहा गया कि निदेशक मंडल में इकॉनोमिक कैपिटल फ्रेमवर्क के अध्ययन के लिए विशेषज्ञ समिति बनाने, समिति के सदस्यों और समिति के कार्य क्षेत्र पर सरकार तथा आरबीआई दोनों ने मिलकर काम करने का निर्णय लिया है.
रिज़र्व बैंक का फैसला |
आरबीआई प्रॉन्प्ट करेक्टिव एक्शन (पीसीए) फ्रेमवर्क के प्रावधानों में कुछ संशोधन करने पर सहमत हुआ है ताकि कुछ सरकारी बैंकों को इसके दायरे से बाहर निकाला जा सके. वर्तमान समय में 11 सरकारी बैंक पीसीए के दायरे में है. इसके लिए अलग से समिति गठित नहीं होगी बल्कि आरबीआई की वित्तीय निगरानी से जुड़ा एक बोर्ड इस बारे में विचार करेगा. पीसीए क्या होता है: जब किसी बैंक के पास जोखिम का सामना करने के लिए पर्याप्त पूंजी नहीं होती तथा आय या मुनाफा नहीं हो रहा या एनपीए बढ़ रहा है तो उस बैंक को पीसीए केटेगरी में डाल दिया जाता है. पीसीए में शामिल बैंक नए कर्ज नहीं दे सकते और नई ब्रांच नहीं खोल सकते.
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प्रमुख तथ्य
• रिजर्व बैंक का पूंजी आधार इस समय 9.69 लाख करोड़ रुपए है. रिजर्व बैंक के स्वतंत्र निदेशक और स्वदेशी विचार एस गुरुमूर्ति तथा वित्त मंत्रालय चाहते हैं कि इस कोष को वैश्विक मानकों के अनुरूप कम किया जाना चाहिए.
• बैठक में जिस विशेषज्ञ समिति के गठन का फैसला किया गया है वह इस कोष के उचित स्तर के बारे में अपनी सिफारिश देगी.
• बैठक में बोर्ड ने आरबीआई को एमएसएमई के जोखिम में फंसे संस्थानों के पुनर्गठन स्कीम पर भी विचार करने के लिए कहा है. इसके तहत आरबीआई सिर्फ 25 करोड़ रुपए के ऋण पर भी विचार करेगा.
• बयान में कहा गया है कि प्रॉन्प्ट करेक्टिव एक्शन के तहत आए बैंकों के मामले का केन्द्रीय बैंक का फाइनेंशियल सुपर विजन बोर्ड परीक्षण करेगा.
गौरतलब है कि आरबीआई बोर्ड में कुल 18 सदस्य हैं जिनमें उर्जित पटेल के अतिरिक्त उनके चार डिप्टी गवर्नर भी शामिल हैं. उर्जित पटेल के अलावा किसी भी डिप्टी गवर्नर को मतदान करने का अधिकार नहीं है. बोर्ड में दो सरकारी अधिकारी और सरकार द्वारा मनोनीत सात स्वतंत्र निदेशक हैं.
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