पंजाबी साहित्यकार प्रोफेसर गुरदयाल सिंह का 16 अगस्त 2016 को बठिंडा के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया. वे 83 वर्ष के थे.
गुरदयाल सिंह को ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है. वे काफी समय से बीमार थे एवं बठिंडा के एक अस्पताल में भर्ती थे.
गुरदयाल सिंह
• गुरदयाल सिंह ने लेखन की शुरुआत वर्ष 1957 में लघु कथा ‘भगानवाले’ से की जिसे ‘पंज दरिया’ नामक पत्रिका में प्रकाशित किया गया.
• उनके द्वारा लिखित उपन्यास ‘मढ़ी दा दीवा’ (1964) को विश्व स्तर पर प्रसिद्धी प्राप्त हुई.
• उनके उपन्यासों में से एक ‘अन्ने घोड़े दा दान’ पर आधारित पंजाबी फिल्म को इटली के अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में भी प्रदर्शित किया गया.
• उनके प्रसिद्ध उपन्यासों में परसा, अन्ने घोड़े दा दान और अध चाननी रात विशेष रूप से शामिल हैं. उनकी कहानियां सग्गी फुल्ल, उपरा घर आदि भी चर्चा में रहीं.
• उन्हें ज्ञानपीठ, पदमश्री, सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार, साहित्य अकादमी पुरस्कार, चार बार बेस्ट फिक्शन बुक पुरस्कार, पंजाब साहित्य अकादमी पुरस्कार, शिरोमणि साहित्यकार आदि पुरस्कारों से अलंकृत किया गया.
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