आरक्षण मौलिक अधिकार नहीं, बल्कि क़ानून है: Supreme Court

Jun 12, 2020, 18:25 IST

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरक्षण कोई बुनियादी अधिकार नहीं है. जस्टिस ए नागेश्वर राव की अगुआई वाली बेंच ने दो टूक कहा कि कोई दावा नहीं कर सकता है कि आरक्षण मौलिक अधिकार है.

Reservation not a fundamental right says Supreme Court in Hindi
Reservation not a fundamental right says Supreme Court in Hindi

सुप्रीम कोर्ट ने 11 मई 2020 को एक मामले की सुनवाई करते हुए आरक्षण को लेकर बड़ी टिप्पणी की. तमिलनाडु के मेडिकल कॉलेज में ओबीसी कोटे की मांग को लेकर दायर याचिकाओं की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरक्षण मौलिक अधिकार नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरक्षण कोई बुनियादी अधिकार नहीं है.

सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही इस याचिका को भी सुनने से इनकार कर दिया. जस्टिस ए नागेश्वर राव की अगुआई वाली बेंच ने दो टूक कहा कि कोई दावा नहीं कर सकता है कि आरक्षण मौलिक अधिकार है. इसलिए कोटा लाभ नहीं मिलने का अर्थ यह नहीं निकाला जा सकता है कि संवैधानिक अधिकारों का हनन हो रहा है.

मुख्य बिंदु

• जस्टिस ए नागेश्वर राव ने कहा कि आरक्षण का अधिकार, मौलिक अधिकार नहीं है. आज यह कानून है.

• याचिका में कहा गया था कि तमिलनाडु के मेडिकल कॉलेजों में ओबीसी कोटे की सीटें रिजर्व नहीं रखी जा रही हैं और यह मौलिक अधिकारों का हनन है.

• सीपीआई, डीएमके और इसके कुछ नेताओं ने यह याचिका दायर करते हुए राज्य के पोस्ट ग्रैजुएट मेडिकल कॉलेज और डेंटल कोर्स में ओबीसी कोटे के तहत 50 प्रतिशत आरक्षण की मांग की थी.

• उन्होंने कहा था कि तमिलनाडु में ओबीसी, एससी और एसटी के लिए 69 प्रतिशत रिजर्वेशन है और इसमें 50 प्रतिशत ओबीसी के लिए है.

• याचिका में मांग की गई है कि ऑल इंडिया कोटे के सरेंडर की गई सीटों में से 50 प्रतिशत सीटों पर ओबीसी उम्मीदवारों को प्रवेश मिले.

• याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि ओबीसी उम्मीदवारों को प्रवेश ना देना उनके मौलिक अधिकारों का हनन है. उन्होंने रिजर्वेशन मिलने तक NEET के तहत काउंसिलिंग पर स्टे लगाने की भी मांग की है.

• सुप्रीम कोर्ट इन तर्कों से सहमत नहीं हुआ और सवाल पूछा कि कैसे अनुच्छेद 32 के तहत दायर याचिका को बनाए रखा जा सकता है जब आरक्षण के लाभ का कोई मौलिक अधिकार नहीं है.

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने इस बात की तारीफ की कि अलग-अलग दलों के लिए एक उद्देश्य के लिए साथ आ रहे हैं. कोर्ट से जब यह कहा गया कि तमिलनाडु सरकार आरक्षण कानून का उल्लंघन कर रही है तब बेंच ने याचिकाकर्ताओं को मद्रास हाई कोर्ट जाने को कहा. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें याचिका वापस लेने और हाई कोर्ट जाने की अनुमति दी.

सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी में भी कहा था कि ऐसा कोई मौलिक अधिकार नहीं है कि प्राइवेट नौकरियों में आरक्षण का दावा किया जा सके. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि कोई अदालत राज्य सरकारों को एससी/एसटी आरक्षण देने के लिए आदेश नहीं दे सकती है.

Vikash Tiwari is an content writer with 3+ years of experience in the Education industry. He is a Commerce graduate and currently writes for the Current Affairs section of jagranjosh.com. He can be reached at vikash.tiwari@jagrannewmedia.com
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