भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 05 जून 2020 को छोटे शहरों और पूर्वोत्तर राज्यों में डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने हेतु 500 करोड़ रुपये का भुगतान संरचना विकास कोष (पीआईडीएफ) बनाने की घोषणा की है. इसके तहत छोटे शहरों और पूर्वोत्तर राज्यों में पॉइंट ऑफ सेल (पीओएस) उपकरण लगाए जाएंगे.
इस कोष में केंद्रीय बैंक शुरुआती 250 करोड़ रुपये का योगदान देगा. शेष राशि का वित्तपोषण कार्ड जारी करने वाले बैंक और कार्ड नेटवर्क करेंगे. आरबीआई ने 05 जून 2020 को बयान में कहा कि हाल के बरसों में देश में भुगतान पारिस्थतिकी तंत्र काफी बदला है.
इस फंड से टीयर-3 से लेकर टीयर-6 तक के केंद्रों और पूर्वोत्तर राज्यों में कारोबारियों को प्वाइंट ऑफ सेल (पीओएस) मशीन अपनाने हेतु प्रोत्साहित किया जाएगा. अब भुगतान के कई विकल्प मसलन बैंक खाते, मोबाइल फोन और कार्ड उपलब्ध हैं.
डिजिटल भुगतान को प्रोत्साहन देना
बयान में कहा गया है कि डिजिटल भुगतान को और प्रोत्साहन देने के लिए विशेषरूप से वंचित क्षेत्रों में स्वीकार्य ढांचा उपलब्ध कराने की जरूरत है. आरबीआई ने कहा कि वह इस कोष में शुरुआती 250 करोड़ रुपये का योगदान देगा.
कार्ड नेटवर्क उपलब्ध
शेष राशि कार्ड जारी करने वाले बैंक और देश में परिचालन कर रहे कार्ड नेटवर्क उपलब्ध कराएंगे. इसके अतिरिक्त पीआईडीएफ को कार्ड जारी करने वाले बैंकों और कार्ड नेटवर्कों से परिचालन खर्च को पूरा करने के लिए आवर्ती योगदान भी मिलेगा.
बयान में कहा गया है कि सालाना आधार पर किसी तरह की कमी होने पर उसकी भरपाई को केंद्रीय बैंक योगदान देगा. पीआईडीएफ की निगरानी सलाहकार परिषद करेगी. इसका प्रशासनिक नियंत्रण आरबीआई के पास रहेगा.
ई-भुगतान प्रणालियों के उपयोग को बढ़ावा
पीओएस मशीन के जरिये कारोबारी डिजिटल तरीके से भुगतान स्वीकार सकते हैं. उन्हें इससे नकदी को संभालने की जरूरत नहीं रहती. पिछले कुछ समय से रिजर्व बैंक देश में ई-भुगतान प्रणालियों के उपयोग को बढ़ावा दे रही है.
पीओएस लेन देन में डेबिट कार्ड का इस्तेमाल साल 2021 तक इससे कुल लेन देन का 44 फीसदी हो जाएगा. देश भर में कार्ड की स्वीकार्यता के लिए बुनियादी ढांचा बढऩे के साथ खासकर छोटे केंद्रों सुविधाएं बढ़ाने की जरूरत है, जिससे कार्ड से संपर्क रहित भुगतान की व्यवस्था हो सके.
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