भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने 09 अक्टूबर 2017 को बासमती चावल की खेती को लेकर विशेष निर्णय दिया है. आईसीएआर के फैसले के अनुसार 22 राज्यों में बासमती की खेती पर पाबंदी लगाई गयी.
पाबंदी का यह निर्णय खराब क्वालिटी के कारण विदेशों से सप्लाई लौटने पर लिया गया. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा कहा गया कि भारत के इन राज्यों में बासमती की गुणवत्ता ख़राब होने के कारण ही विदेशों से सप्लाई वापिस आई है.
मुख्य बिंदु
• अनुसंधान परिषद ने आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, असम, बिहार, ओडिशा, केरल, कर्नाटक, गुजरात, तमिलनाडु, त्रिपुरा, नगालैंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, राजस्थान, मेघालय, गोवा, छत्तीसगढ़, झारखंड, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, सिक्किम, तेलंगाना पर रोक लगाई है.
• भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के निर्णय के बाद अब केवल उत्तगर प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर में ही बासमती धान की खेती होगी.
• सबसे अधिक उत्पादन लक्ष्य उत्ताराखंड के तराई क्षेत्र और पंजाब को दिया गया है.
विस्तृत हिंदी current affairs के लिए यहां क्लिक करें
• खेती के लिए नए किसानों को चयनित करने का निर्णय लिया गया है ताकि उन्हें प्रशिक्षित करके खेती कारवाई जा सके.
• कृषि वैज्ञानिक बासमती धान की खेती में बीज, सिंचाई और उवर्रक डालने के अतिरिक्त किसानों को प्रशिक्षित करने में भी सहायता करेंगे.
बासमती निर्यात
कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण के माध्यम से भारतीय बासमती का निर्यात ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, फ्रांस, जर्मनी, ग्रीस, हंगरी, नीदरलैंड्स, स्वीडन, इंग्लैंड, डेनमार्क, पोलैंड, पुर्तगाल और स्पेन को सबसे अधिक करता है. कुल मिलाकर लगभग सौ देशों को बासमती चावल का निर्यात किया जाता है.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation