लोकसभा द्वारा 21 जुलाई 2017 को लोकसभा ने निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा (संशोधन) विधेयक 2017 पारित किया गया. इस विधेयक द्वारा निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा विधेयक (आरटीई), 2009 में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए निर्धारित न्यूनतम योग्यता प्राप्त करने की अंतिम तिथि को बढ़ाया गया है.
निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा विधेयक, 2009 (आरटीई) के पारित होने के बाद से अपर्याप्त रूप से शिक्षित टीचरों को 31 मार्च 2015 तक अनिवार्य शिक्षा डिग्री हासिल करने के लिए कहा गया था. शिक्षकों द्वारा तय सीमा तक इसे हासिल न कर पाने के कारण इसकी समय सीमा 31 मार्च 2019 तक बढ़ा दी गयी है.
मुख्य बिंदु
• आरटीई एक्ट, 2009 में हुए संशोधन से शिक्षक अगले दो वर्षों में तयसीमा के भीतर डिग्री हासिल कर सकेंगे.
• अप्रशिक्षित शिक्षक अगस्त के अंत तक 'स्वयं' पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं.
• इस समय निजी स्कूलों में लगभग साढ़े पांच लाख और सरकारी स्कूलों में ढाई लाख शिक्षक अप्रशिक्षित हैं.
• यह सुनिश्चित किया जायेगा कि शिक्षकों द्वारा प्राप्त किया जा रहा प्रशिक्षण जरुरी न्यूनतम योग्यता के अनुसार हो.
• इससे न केवल शिक्षकों की गुणवत्ता में सुधार होगा बल्कि शिक्षा प्रक्रिया एवं छात्रों को दी जाने वाली शिक्षा के स्तर में भी इजाफा होगा.
• प्राथमिक शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार से सरकार द्वारा किये जा रहे प्रयासों को बल मिलेगा.
पृष्ठभूमि
निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा विधेयक, 2009, भारत में छह से चौदह वर्ष तक के सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा सुनिश्चित कराता है. इस विधेयक का अनुच्छेद 23 (2) यह निर्धारित करता है कि प्राथमिक स्तर पर बच्चों को पढ़ा रहे शिक्षक यदि निर्धारित न्यूनतम योग्यता नहीं रखते हैं तो उन्हें पांच वर्ष अर्थात् मार्च 2015 तक यह शिक्षा हासिल करनी होगी.

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