रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने हाल ही में साइबेरिया में आपातकाल लगाने की घोषणा कर दी है. यह फैसला उन्होंने एक ऊर्जा संयंत्र भंडारण केन्द्र से लगभग 20 हजार टन डीजल बहने के बाद लिया है. दुनिया में इस समय कोरोना वायरस का संकट फैला हुआ है, लेकिन इसके साथ भी कई तरह की मुश्किलें सामने आ रही हैं.
यह घटना नॉरिल्स्क शहर के बाहरी इलाके में स्थित ऊर्जा संयंत्र में हुई, जो मॉस्को से 2,900 किलोमीटर दूर है. ईंधन को आंबरनया नदी में मिलने से रोकने हेतु अवरोधक लगाए गए हैं. नदी से एक झील निकलती है जो आगे चलकर एक नदी से मिल जाती है. यह नदी पर्यावरणीय रूप से संवेदनशील आर्कटिक महासागर की तरफ जाती है.
मछलियों और अन्य संसाधनों का नुकसान
रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने अधिकारियों को इस बहाव से होने वाली क्षति को कम से कम पैमाने पर रोकने का आदेश दिया. वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ फंड-रूस के संचालक एलेक्सी निजिनिकोव के मुताबिक मछलियों और अन्य संसाधनों को नुकसान होगा. इससे 13 मिलियन डॉलर का कम से कम नुकसान होगा.
A satellite view at what rivers Ambarnaya and Daldykan outside Norilsk look now after the spill of more than 20,000 tonnes of diesel fuel pic.twitter.com/Wwpx2UqsLp
— The Siberian Times (@siberian_times) June 4, 2020
दुर्घटना का अभी तक कोई कारण पता नहीं चला
यह तेल संयंत्र नोरिल्स्क निकल के एक प्रभाग द्वारा संचालित किया जाता है, जिसके क्षेत्र में कारखानों ने नोरिल्स्क को पृथ्वी पर सबसे भारी प्रदूषित स्थानों में से एक बना दिया है. हालांकि, दुर्घटना का अभी तक कोई कारण नहीं बताया गया है.
कंपनी के मालिक जिम्मेदार
रूस के राष्ट्रपति ने आर्कटिक क्षेत्र में बड़े पैमाने पर ईंधन तेल फैलने में लापरवाही के लिए उस कंपनी के मालिक को जिम्मेदार ठहराया और वो सुनिश्चित कर रहे हैं इस रिसाव को नदियों और सागरों में जाने से रोकने की कोशिश में जो भी खर्च होगा वो उस कंपनी से वसूला जाएगा.
ऐसा पहली बार नहीं
ऐसा पहली बार नहीं है की रूस में तेल को लेकर आपातकालीन घोषणा हुई हो. साल 2016 की एक दुर्घटना में एक अन्य प्लांट ने पास की नदी में तेल लीक करवा दिया था जिससे नदी लाल रंग में बदल गई थी. इस घटना के लिए कंपनी पर 1,000 डॉलर से कम का जुर्माना लगाया गया था.
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