रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 07 जून 2021 को एक ऐसे कानून पर हस्ताक्षर किया, जिसके बाद रूस औपचारिक रूप से ओपन स्काइज हथियार नियंत्रण समझौते से बाहर आ गया है. अमेरिका इस संधि से पहले ही अलग हो चुका है. उल्लेखनीय है कि 16 जून को जिनेवा में पुतिन और बाइडन के बीच शिखर वार्ता होनी है.
इससे पहले रूस ने उम्मीद जताई थी कि पुतिन और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन इस महीने जेनेवा में होने वाली अपनी बैठक के दौरान इस समझौते पर बातचीत कर सकते हैं. लेकिन बाइडन प्रशासन ने रूस को पिछले महीने सूचित किया कि समझौते से बाहर आने के बाद अमेरिका फिर से इसमें शामिल नहीं होना चाहता है.
अमेरिका इस संधि से पहले ही अलग हो चुका है
अमेरिका 2020 में डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में इस समझौते से बाहर आया था. रूस ने कहा कि अमेरिकी फैसले से समझौते की निगरानी और विश्वास बहाली में इसकी अहमियत को गंभीर नुकसान पहुंचा. इससे रूस की राष्ट्रीय सुरक्षा को भी खतरा उत्पन्न हुआ. रूस को पहले उम्मीद थी कि बाइडन अपने पूर्ववर्ती राष्ट्रपति के फैसले को पलट देंगे. लेकिन बाइडन प्रशासन ने ऐसा करने से इन्कार कर दिया.
ओपन स्काई संधि क्या है?
ओपन स्काई संधि का मकसद सदस्य देशों की सेना और उसकी गतिविधियों के बारे में जानकारी एकत्र करने और सदस्य देशों के मिलिट्री इलाकों में टोही उड़ानों का संचालन करने की अनुमति देकर रूस और पश्चिमी देशों के बीच विश्वास का निर्माण करना था. साल 1992 में की गई इस संधि में तीन दर्जन से अधिक देश शामिल हैं.
इस संधि पर मार्च 1992 में फिनलैंड की राजधानी हेलसिंकी में हस्ताक्षर किये गए थे. यह संधि साल 2002 में पूर्णरूप से लागू हुई थी. यह संधि में 34 हस्ताक्षरकर्त्ता देशों (अमेरिका और रूस सहित) को संधि में शामिल अन्य देशों की सीमाओं में सैन्य गतिविधियों की जाँच के लिये गैर-हथियार वाले निगरानी विमानों की उड़ान की अनुमति देती है.
इस संधि का उद्देश्य
इस संधि के तहत 1,500 से अधिक उड़ानों का संचालन किया गया है. इसका उद्देश्य सैन्य गतिविधि के बारे में पारदर्शिता को बढ़ावा देना और हथियारों के नियंत्रण और अन्य समझौतों की निगरानी करना है. संधि में सभी देश अपने सभी क्षेत्रों को निगरानी उड़ानों के लिए उपलब्ध कराने पर सहमत हैं, फिर भी रूस ने कुछ क्षेत्रों में उड़ानों पर प्रतिबंध लगा दिया है.
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