अंतरराष्ट्रीय भारोत्तोलन महासंघ (आईडब्ल्यूएफ) ने भारतीय भारोत्तोलक के संजीता चानू के खिलाफ लगाये गये डोपिंग के आरोपों को उनके नमूनों में एकरूपता नहीं पाये जाने के कारण खारिज कर दिया. इसके बाद राष्ट्रमंडल खेलों की स्वर्ण पदक विजेता इस खिलाड़ी ने माफी मांगने और मुआवजा देने की मांग की है.
यह फैसला आईडब्ल्यूएफ ने विश्व डोपिंग रोधी एजेंसी (वाडा) की सिफारिशों के आधार पर किया. भारोत्तोलक संजीता चानू शुरू से ही खुद को निर्दोष बता रही थी. उन्हें आईडब्ल्यूएफ के कानूनी सलाहकार लिला सागी के हस्ताक्षर वाले ई मेल के जरिये अंतिम फैसले से अवगत करा दिया गया है.
ईमेल में क्या कहा गया
ईमेल में कहा गया है कि वाडा ने सिफारिश की है कि नमूने के आधार पर खिलाड़ी के खिलाफ मामला समाप्त किया जाना चाहिए. इसमें कहा गया है कि आईडब्ल्यूएफ ने वाडा को 28 मई को बताया था कि संजीता चानू के नमूनों के विश्लेषण के समय उनमें एकरूपता नहीं पायी गयी.
आईडब्ल्यूएफ के मुताबिक, इसके बाद आईडब्ल्यूएफ ने खिलाड़ी के खिलाफ आरोप खारिज करने और यह मामला खत्म करने का फैसला किया.
संजीता चानू ने क्या कहा?
संजीता चानू ने कहा कि मैं बहुत खुश हूं कि आखिर में मुझे आधिकारिक तौर पर डोपिंग के आरोपों से मुक्त कर दिया गया है. चानू ने कहा कि आईडब्ल्यूएफ ने अपने कड़े रवैये से उनसे टोक्यो ओलंपिक के लिये क्वालीफाई करने का मौका छीन लिया और उन्हें मानसिक पीड़ा पहुंचाने के लिये उसे माफी मांगनी चाहिए और मुआवजा देना चाहिए.
संजीता चानू के बारे में
संजीता चानू भारत की एक भारोत्तोलन खिलाड़ी हैं. उन्होंने ग्लासगो में हुए 2014 राष्ट्रमण्डल खेलों में भारोत्तोलन स्पर्धा के 48 किलोग्राम वर्ग में स्वर्ण पदक प्राप्त किया. वे मणिपुर के काकचिंग जिले से नाता रखती हैं. उन्होंने साल 2006 में भारोत्तोलन को अपने व्यवसाय के रूप में चुना. उनकी गिनती भारत के अग्रणी महिला भारोत्तोलकों में की जाती है. वे कुंजरानी देवी को अपना आदर्श मानती हैं. उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में आयोजित 2018 राष्ट्रमण्डल खेलों में महिला 53 किग्रा श्रेणी में स्वर्ण जीतकर लगातार दूसरा स्वर्ण जीता था.
पृष्ठभूमि
संजीता चानू अंतरराष्ट्रीय भारोत्तोलन महासंघ (आईडब्ल्यूएफ) से मानसिक उत्पीड़न पहुंचाने के लिए मुआवजे की मांग कर रही है. संजीता चानू को नवंबर 2017 में एनाबोलिक स्टेराइड टेस्टोस्टेरोन का पॉजिटिव पाया गया था. संजीता चानू पर 15 मई 2018 से 22 जनवरी 2019 तक नौ महीने के लिए अस्थायी निलंबन लगाया गया था, जिसके बाद उन्हें टूर्नामेंट में प्रतिस्पर्धा करने की अनुमति दी गई थी.
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