सऊदी अरब ने हाल ही में भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर समेत लंबित मुद्दों को सुलझाने के लिए वार्ता के महत्व पर जोर दिया है. पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने प्रधानमंत्री इमरान खान और सऊदी अरब के युवराज (क्राउन प्रिंस) मोहम्मद बिन सलमान के बीच हुई उच्च स्तरीय वार्ता के बाद एक संयुक्त बयान जारी किया. इसपर दोनों देश के बीच सहमति बनी है.
प्रधानमंत्री इमरान खान सात मई से नौ मई तक सऊदी अरब की आधिकारिक यात्रा पर हैं. संयुक्त बयान के अनुसार दोनों पक्षों ने भारत और पाकिस्तान के बीच लंबित मुद्दों खासकर जम्मू-कश्मीर के मुद्दे को सुलझाने के लिए दोनों देशों के बीच संवाद के महत्व पर जोर दिया है ताकि क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता सुनिश्चित हो सके.
भारत और पाकिस्तान के बीच समझौता
बयान में कहा गया कि सऊदी अरब के युवराज ने भारत और पाकिस्तान के बीच 2003 के एक समझौते के आधार पर नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर संघर्ष विराम के संबंध में दोनों देश के सैन्य अधिकारियों के बीच बनी हालिया समझ का स्वागत किया है.
सख्ती से पालन करने पर सहमति
भारत और पाकिस्तान की सेनाओं ने 25 फरवरी को घोषणा करते हुए कहा था कि उन्होंने जम्मू-कश्मीर और अन्य सेक्टरों में नियंत्रण रेखा के पास संघर्ष विराम पर सभी समझौतों का सख्ती से पालन करने पर सहमति जताई है.
अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा
प्रधानमंत्री इमरान खान की सउदी अरब की यात्रा के दौरान, दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय सहयोग के सभी पहलुओं की समीक्षा की और परस्पर हित के क्षेत्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा की तथा विभिन्न क्षेत्रों में संबंधों को और मजबूत करने पर सहमति जताई.
भारत-पाकिस्तान संबंध
भारत और पाकिस्तान में संबंध हमेशा से ही ऐतिहासिक और राजनैतिक मुद्दों कि वजह से तनाव में रहे हैं. इन देशों में इस रिश्ते का मूल वजह भारत के विभाजन को देखा जाता है. इन देशों में तनाव मौजूद है जबकि दोनों ही देश एक दूजे के इतिहास, सभ्यता, भूगोल और अर्थव्यवस्था से जुड़े हुए हैं. वर्षों से भारत का पाकिस्तान के साथ व्यापार अधिशेष है, आयात और निर्यात की तुलना में व्यापार को हमेशा राजनीति से जोड़ा गया है.
वित्तीय वर्ष 2018-19 में पाकिस्तान से भारत को आयातित प्रमुख वस्तुओं में खनिज ईंधन, तेल, खाद्य फल, नारियल, नमक, सल्फर, पत्थर ,प्लास्टर सामग्री, अयस्क, लावा, राख, खाल और चमड़ा आदि शामिल थे. पाकिस्तान ने कपास के आयात पर प्रतिबंध हटाने का निर्णय लिया है, क्योंकि कपास की घरेलू पैदावार कम होने के कारण पाकिस्तान का वस्त्र उद्योग कच्चे माल की कमी का सामना कर रहा है.
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