सर्वोच्च न्यायलय ने केंद्र सरकार को प्रत्येक ज़िले में फैमिली वेलफेयर कमिटी बनाने के निर्देश दिए

Jul 28, 2017, 12:29 IST

सर्वोच्च न्यायलय ने यह दिशा निर्देश लोगों को दहेज उत्पीड़न के झूठे मुकदमों से बचाने हेतु जारी किए हैं.

सर्वोच्च न्यायलय ने केंद्र सरकार को प्रत्येक ज़िले में फैमिली वेलफेयर कमिटी बनाने के दिशा निर्देश जारी किए हैं. सर्वोच्च न्यायलय ने यह दिशा निर्देश लोगों को दहेज उत्पीड़न के झूठे मुकदमों से बचाने हेतु जारी किए हैं.

उद्देश्य-
सर्वोच्च न्यायलय के अनुसार आईपीसी 498A यानि दहेज उत्पीड़न से जुड़ी शिकायतों को देखने के लिए हर ज़िले में एक फैमिली वेलफेयर कमिटी का गठन किया जाए. न्यायलय के अनुसार जिला कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर ही दहेज उत्पीड़न के मामले में आगे की कार्रवाई आरम्भ की जाए.

27 जुलाई 2017 को जस्टिस ए के गोयल और यू यू ललित ने पूर्व में किए गए आदेश का समर्थन किया. इस मामले में न्यायलय ने अनेक महत्वपूर्ण निर्देश भी जारी किए. जो निम्न हैं-

देश के हर ज़िले में फैमिली वेलफेयर कमिटी का गठन किया जाए. कमिटी में पैरा लीगल स्वयंसेवक, रिटायर्ड लोगों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, सेवारत ऑफिसर्स की पत्नियों या अन्य लोगों को सम्मिलित किया जा सकता है. कमिटी के सदस्यों को दहेज मामलों पर आवश्यक प्रशिक्षण भी दिया जाए.

498 A की शिकायतों को पहले कमिटी के पास भेजा जाए. ऐसे मामलों में कमिटी सम्बंधित पक्षों से बात कर सच्चाई समझने की कोशिश करे. अधिकतम 1 महीने में रिपोर्ट दे. आवश्यक हो तो जल्द से जल्द संक्षिप्त रिपोर्ट दे.

सामन्य हालात में कमिटी की रिपोर्ट आने से पहले कोई गिरफ्तारी न की जाए. रिपोर्ट आने के बाद पुलिस के जांच अधिकारी या मजिस्ट्रेट उस पर विचार कर आगे की कार्रवाई करें.

अगर पीड़िता की चोट गंभीर हो या उसकी मौत हो गई हो तो पुलिस गिरफ्तारी या किसी भी उचित कार्रवाई के लिए स्वतंत्र होगी.


पुलिस और अदालतों की भूमिका के बारे में निर्देश-


प्रत्येक राज्य 498A के मामलों की जांच के लिए जांच अधिकारी तय करे. ऐसा एक महीने के भीतर किया जाए. ऐसे अधिकारियों को उचित ट्रेनिंग भी दी जाए.

ऐसे मामलों में जिन लोगों के खिलाफ शिकायत है. पुलिस उनकी गिरफ्तारी से पहले उनकी भूमिका की अलग-अलग समीक्षा करे. केवल एक शिकायत के आधार पर सबको गिरफ्तार न किया जाए.

जिस शहर में मुकदमा चल रहा है, उससे बाहर रहने वाले लोगों को हर तारीख पर पेशी से छूट दी जाए. मुकदमे के दौरान परिवार के हर सदस्य की पेशी अनिवार्य न रखी जाए.

यदि जिला न्यायाधीश सही समझें तो एक ही वैवाहिक विवाद से जुड़े सभी मामलों को एक साथ जोड़ सकते हैं. इससे पूरे मामले को एक साथ देखने और हल करने में मदद मिलेगी.

ऐसें मामलों में भारत से बाहर रह रहे लोगों का पासपोर्ट जब्त करने या उनके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने जैसी कार्रवाई एक रूटीन काम की तरह नहीं की जा सकती. ऐसा अत्यंत ज़रूरी हालात में ही किया जाए.

वैवाहिक विवाद में अगर दोनों पक्षों में समझौता हो जाता है तो ज़िला जज आपराधिक मामले को बंद करने पर विचार कर सकते हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों, ज़िला जजों और डिस्ट्रिक्ट लीगल सर्विसेज़ अथॉरिटी को जल्द से जल्द इन निर्देशों पर अमल शुरू करने को कहा है.


सर्वोच्च न्यायलय की टिप्पणी के अनुसार कानून में धारा 498A जोड़ने का उद्देश्य बहुत अच्छा था. ये सोचा गया था कि इससे महिलाओं के खिलाफ क्रूरता पर रोक लगेगी. सर्वोच्च न्यायलय ने अफ़सोस व्यक्त किया कि समाज में ऐसे मुकदमों की बाढ़ आ गई है जिनमें मामूली विवाद को दहेज उत्पीड़न का मामला बता दिया जाता है.

पूर्व आदेश-
पूर्व में वर्ष 2014 में भी सुप्रीम कोर्ट ने 498A के मामलों में तुरंत गिरफ्तारी न करने का निर्देश दिया था. उस समय कोर्ट ने आदेश जारी किए थे कि गिरफ्तारी तभी की जाए जब ऐसा करना अत्यंत आवश्यक हो. इतन ही नहीं न्यायलय के अनुसार गिरफ्तारी की वजहें मजिस्ट्रेट को भी बताए  जाने के निर्देश जारी किए थे. न्यायलय ने एक ही शिकायत पर बिना जांच किए पूरे परिवार को जेल भेज देने को भी गलत बताया.

टिप्पणी-
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कानून में धारा 498A जोड़ने का मकसद बहुत अच्छा था. ये सोचा गया था कि इससे महिलाओं के खिलाफ क्रूरता पर रोक लगेगी. खास तौर पर ऐसी क्रूरता जिसका अंजाम हत्या या आत्महत्या तक हो जाए. लेकिन अफ़सोस की बात है कि समाज में ऐसे मुकदमों की बाढ़ आ गई है जिनमें मामूली विवाद को दहेज उत्पीड़न का मामला बता दिया जाता है. ऐसे शिकायतों का हल अगर समाज के दखल से ही निकल सके तो बेहतर होगा.

Jagranjosh
Jagranjosh

Education Desk

Your career begins here! At Jagranjosh.com, our vision is to enable the youth to make informed life decisions, and our mission is to create credible and actionable content that answers questions or solves problems for India’s share of Next Billion Users. As India’s leading education and career guidance platform, we connect the dots for students, guiding them through every step of their journey—from excelling in school exams, board exams, and entrance tests to securing competitive jobs and building essential skills for their profession. With our deep expertise in exams and education, along with accurate information, expert insights, and interactive tools, we bridge the gap between education and opportunity, empowering students to confidently achieve their goals.

... Read More

यूपीएससी, एसएससी, बैंकिंग, रेलवे, डिफेन्स और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए नवीनतम दैनिक, साप्ताहिक और मासिक करेंट अफेयर्स और अपडेटेड जीके हिंदी में यहां देख और पढ़ सकते है! जागरण जोश करेंट अफेयर्स ऐप डाउनलोड करें!

एग्जाम की तैयारी के लिए ऐप पर वीकली टेस्ट लें और दूसरों के साथ प्रतिस्पर्धा करें। डाउनलोड करें करेंट अफेयर्स ऐप

AndroidIOS

Trending

Latest Education News