सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने निर्भया सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के मामले में चारों दोषियों की मौत की सजा बरकरार रखी है. सुप्रीम कोर्ट ने 18 दिसंबर 2019 को अक्षय कुमार सिंह की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है साल 2017 के फैसले पर पुनर्विचार करने का कोई आधार नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद चारों दोषियों पवन, मुकेश, अक्षय और विनय की फांसी को लेकर ‘डेथ वारंट’ जारी करने का रास्ता साफ हो गया है. पीठ ने कहा कि दोषी की आपत्तियों पर सुप्रीम कोर्ट अपने पहले के फैसले में अच्छी तरह विचार कर चुका है.
सुप्रीम कोर्ट में केस से संबंधित मुख्य तथ्य
• सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुनवाई के दौरान दोनों पक्ष के वकीलों को अपनी-अपनी दलील रखने हेतु 30-30 मिनट का समय दिया गया था.
• सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज करने के साथ ही यह भी कहा कि दोषी को बचाव का पूरा मौका दिया गया था. कोर्ट ने कहा कि इस केस के ट्रायल एवं जांच में कोई खामी नहीं है.
• सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस भानुमति की अध्यक्षता में तीन जजों की बेंच मामले की सुनवाई कर रही है. इन बेंच में जस्टिस आर भानुमति के साथ जस्टिस अशोक भूषण और एएस बोपन्ना भी शामिल हैं.
• दोषी अक्षय कुमार सिंह के वकील ने राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दायर करने हेतु न्यायालय से तीन सप्ताह का समय मांगा है. महाधिवक्ता तुषार मेहता ने कोर्ट से कहा कि राष्ट्रपति को ऐसी याचिका भेजने हेतु कानून के तहत केवल एक सप्ताह का समय निर्धारित है. कोर्ट ने 1 सप्ताह का समय दिया है.
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तीन अन्य दोषियों की याचिका खारिज
सुप्रीम कोर्ट ने 09 जुलाई 2018 को ही अन्य तीन दोषियों मुकेश, पवन गुप्ता और विनय शर्मा की पुनर्विचार याचिका पहले ही खारिज कर दिया है.
पृष्ठभूमि
दोषियों ने 23 साल की पैरा मेडिकल छात्रा ‘निर्भया’ के साथ 16 दिसंबर 2012 की रात को दक्षिण दिल्ली में चलती बस में सामूहिक दुष्कर्म किया था. दोषियों ने पीड़िता को चलती हुई बस से बाहर फेंक दिया था. पीड़िता ने जिंदगी की जंग लड़ते हुए 29 दिसंबर 2012 को सिंगापुर के एक अस्पताल में दम तोड़ दिया था. इस जघन्य घटना की देश और विश्व भर में व्यापक निंदा हुई थी. घटना के छह दोषियों में से एक ने तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली थी. एक अन्य दोषी नाबालिग था जिसे तीन साल तक सुधार गृह में रखने के बाद रिहा कर दिया गया था.
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