स्विट्ज़रलैंड के बेसल विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने हाल ही में मानव जबड़े की मांसपेशियों के एक नए हिस्से की खोज की है. वैज्ञानिकों ने मास्सेटर मांसपेशी की इस संरचना को एक अतिरिक्त तीसरी परत के रूप में वर्णित किया है और इसे 'मस्कुलस मास्सेटर पार्स कोरोनीडिया' नाम देने का प्रस्ताव रखा है.
वैज्ञानिकों (Scientists) ने शरीर का एक ऐसा हिस्सा खोज निकाला है. जिसका जिक्र आज से पहले कभी नहीं हुआ था. यह हिस्सा जबड़े की मास्सेटर मांसपेशियों (Masseter Muscle) की एक गहरी परत के अंदर मिला है. मास्सेटर मांसपेशी को कान के नीचे महसूस किया जा सकता है.
इसमें इसकी अहम भूमिका
बता दें कि मास्सेटर मांसपेशी ही जबड़े के निचले हिस्से को ऊपर उठाती है और खाने को चबाने में इसकी अहम भूमिका होती है. मॉडर्न एनाटॉमी टेक्स्ट बुक में मास्सेटर की दो परतों का उल्लेख है. इसमें एक गहरी और एक सतही परत है.
यह अंग हमारे निचले जबड़े के आखिरी छोर पर स्थित है. इसकी मदद से हमारा जबड़ा हिलता है. यह मैसेटर (Masseter) के अंदर मौजूद मांसपेशी की गहरी परत है. यह निचले जबड़े को चबाते समय ऊपर-नीचे हिलाने में मदद करती है.
इसमें प्रकाशित किया गया
इस खोज को साइंस जर्नल एनल्स ऑफ एनटॉमी (Annals Of Anatomy) के ऑनलाइन एडिशन में प्रकाशित किया गया है.
अंग को खोजने के लिए स्टडी शुरू की
वैज्ञानिकों ने बताया कि उनकी टीम ने ऐतिहासिक ग्रंथों में लिखी जबड़े की मांसपेशियों में छिपे अंग को खोजने के लिए अपनी स्टडी शुरू की थी. उन्होंने ऐसा करने के लिए 12 इंसानी शवों को फॉर्मलाडेहाइड में संरक्षित किया. जब वैज्ञानिकों ने बॉडी के सिर का अध्ययन किया तो उन्हें चौंकाने वाले परिणाम मिले. उन्हें प्राचीन ग्रंथों में उल्लेखित जगह से दूर शरीर का एक अलग हिस्सा दिखाई दिया.
वैज्ञानिकों ने इस शोध के दौरान 16 ताजा शवों का सीटी स्कैन भी किया और एक जीवित इंसान के एमआरआई स्कैन से तुलना की. इस दौरान उन्हें जबड़े की मांसपेशियों में तीसरी परत दिखाई दी. वैज्ञानिकों ने बताया कि यह गहरी परत जाइगोमैटिक प्रॉसेस से चलती है. यही प्रॉसेस गाल की कोमल हड्डियों का ठोस बनाता है.
पिछले 100 वर्षों में शारीरिक अनुसंधान
यूनिवर्सिटी ऑफ बेसल के सेंटर ऑफ डेंटल मेडिसिन के प्रोफेसर और डॉक्टर जेन्स क्रिस्टोफ टर्प ने कहा कि यह आमतौर पर माना जाता है कि पिछले 100 सालों में शारीरिक अनुसंधान (Anatomical Research) ने कोई कसर नहीं छोड़ी गई है, ऐसे में इसे सदी की खोज माना जा सकता है.
यह भी पढ़ें: NASA ने रचा इतिहास, लॉन्च किया दुनिया का सबसे बड़ा टेलीस्कोप
Comments
All Comments (0)
Join the conversation