श्रीनगर स्थित शीतोष्ण रेशम उत्पादन अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने कारगिल के एक गांव में सेरीकल्चर (रेशम के कीड़े की सहायता से रेशम उत्पादन) में सफलता प्राप्त की.
इससे क्षेत्र में कोकून के उत्पादन में सहायता प्राप्त होगी. साथ ही इससे क्षेत्र में रोज़गार के अवसर बढ़ेंगे तथा ग्रामीण युवाओं के लिए आय के साधन भी विकसित होंगे.
पृष्ठभूमि
वर्ष 2015-16 के दौरान, पोयेन गांव के 31 बेरोजगार युवाओं तथा महिला किसानों को इस संदर्भ में प्रशिक्षण दिया गया. इस दौरान कारगिल जिले में पहली बार बिवोलटाइन कोकून विकसित किया गया था.
लद्दाख स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद के अध्यक्ष हाजी मोहम्मद हनीफा जान के निर्देशों पर इस क्षेत्र में 40 दिनों के लिए प्रशिक्षण कार्य आरंभ किया गया था. इसमें केन्द्रीय रेशम बोर्ड तथा वस्त्र मंत्रालय द्वारा भी संयुक्त रूप से भाग लिया गया.
सेरीकल्चर
• रेशम उत्पादन के लिए रेशम के कीड़ो के पालन को सेरीकल्चर कहा जाता है.
• बोम्बेक्स मोरी अत्यधिक रूप से प्रयोग किया जाने वाला रेशम का कीड़ा है.
• नवपाषाण काल में चीन में सबसे पहले रेशम का उत्पादन किया गया था.
• सेरीकल्चर ब्राज़ील, चीन, फ्रांस, भारत, इटली, जापान, कोरिया एवं रूस में वस्त्र उद्योग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
• विश्व के कुल रेशम के कीड़ों के उत्पादन का 60 प्रतिशत भारत और चीन में होता है.
Now get latest Current Affairs on mobile, Download # 1 Current Affairs App

Comments
All Comments (0)
Join the conversation