हिन्दी के वरिष्ठ कवि और ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित कुंवर नारायण का 90 वर्ष की अवस्था में नई दिल्ली में 15 नवंबर 2017 को निधन हो गया. गत चार जुलाई 2017 को मस्तिष्काघात के बाद वह कोमा में चले गये थे.
कुंवर नारायण को अपनी रचनाशीलता में इतिहास और मिथक के जरिए, वर्तमान को देखने के लिए जाना जाता है. कुंवर नारायण लगभग 51 वर्ष से साहित्य में सक्रिय थे.
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कवि कुंवर नारायण ने लखनऊ यूनिवर्सिटी से इंग्लिश लिटरेचर में पोस्ट ग्रेजुएट किया. पढ़ाई के तुरंत बाद उन्होंने ऑटोमोबाइल बिजनेस में काम करना शुरू कर दिया था, जो उनका पुश्तैनी बिजनेस था. बाद में उनका रुझान लेखन की ओर हुआ और उन्होंने इसमें नया मुकाम हासिल किया.
वरिष्ठ कवि कुंवर नारायण-
- कवि और ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित कुंवर नारायण का जन्म 9 सितंबर 1927 को उत्तर प्रदेश के फैजाबाद में हुआ.
- कवि कुंवर नारायण की मूल विधा कविता थी किन्तु उन्होंने इसके अलावा कहानी एवं आलोचना विधाओं में लिखा.
- उनके कविता संग्रह में चक्रव्यूह, परिवेश : हम तुम 1961, आत्मजयी, अपने सामने, कोई दूसरा नहीं, इन दिनों, वाजश्रवा के बहाने, हाशिये का गवाह प्रमुख हैं.
- अज्ञेय द्वारा संपादित तीसरा सप्तक (1959) के कवियों में कुंवर नारायण भी शामिल थे.
- उन्होंने समीक्षाओं के साथ-साथ सिनेमा, रंगमंच में भी अहम योगदान दिया.
- उनकी पहली किताब 'चक्रव्यूह' साल 1956 में आई.
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‘‘आकारों के आसपास’’ नाम से उनका कहानी संग्रह भी आया. ‘‘आज और आज से पहले’’ उनका आलोचना ग्रन्थ है. उनकी रचनाओं का इतालवी, फ्रेंच, पोलिश सहित विभिन्न विदेशी भाषाओं में अनुवाद किया जा चुका है.
सम्मान-
- वर्ष 1995 में उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मनित किया गया.
- वरिष्ठ कवि कुंवर नारायण की साहित्य सेवा के कारण भारत सरकार ने वर्ष 2009 में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया.
- वर्ष 2005 में कुंवर नारायण को साहित्य जगत के सर्वोच्च सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.
- उन्हें हिंदुस्तानी अकादमी पुरस्कार, प्रेमचंद पुरस्कार, तुलसी पुरस्कार, केरल का कुमारन अशान पुरस्कार, व्यास सम्मान, श्लाका सम्मान (हिंदी अकादेमी दिल्ली), उ.प्र. हिंदी संस्थान पुरस्कार, ज्ञानपीठ पुरस्कार, कबीर सम्मान प्रदान किया गया. साहित्य अकादमी ने उन्हें अपना वृहत्तर सदस्य बनाकर सम्मानित किया गया.
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