सिंगापुर संसद ने फेक न्यूज विधेयक पारित किया

इस विधेयक में अधिकारियों को यह अधिकार होगा कि वे 'फेक न्यूज़' हटाने का आदेश दे सकते हैं और भारी जुर्माना लगा सकते हैं.

May 9, 2019, 17:35 IST
Singapore passes new bill to check fake news
Singapore passes new bill to check fake news

सिंगापुर संसद ने 08 मई 2019 को दो दिनों तक चली बहस के बाद फेक न्यूज से निपटने हेतु फेक न्यूज विधेयक पारित कर दिया. यह विधेयक ऑनलाइन मीडिया को सरकार के अनुसार फेक सूचना को सुधारने या हटाने का मौका देगा.

हालांकि, पत्रकारों, शिक्षाविदों और वैश्विक प्रौद्योगिकी कंपनियों द्वारा मुक्त भाषण और शक्ति के दुरुपयोग पर चिंता जाहिर की थी. यह अभिव्यक्ति (अपने विचार दूसरों के साथ बाँटना) की आज़ादी पर शिकंजा कसने हेतु भी इस्तेमाल किया जा सकता है.

मुख्य बिंदु:

•   इस विधेयक में अधिकारियों को यह अधिकार होगा कि वे 'फेक न्यूज़' हटाने का आदेश दे सकते हैं और भारी जुर्माना लगा सकते हैं.

•   इस विधेयक में मंत्रियों को यह हक़ होगा कि वह फेसबुक जैसी सोशल मीडिया वेबसाइटों को उन पोस्ट पर 'चेतावनी' लगाने का आदेश दे सकते हैं जिन्हें अधिकारी फेक मानते हैं.

•   आलोचकों का कहना है कि कानून सरकारी अधिकारियों को अपने तरीके से मनचाहा शक्तियां प्रदान करता है. उनका कहना है कि निजी क्षेत्र को फेक और बिना उत्तरदायित्‍व के बयानों का अंतिम मध्यस्थ होना चाहिए.

•   यह विधेयक 72 सांसदों की सहमति, 09 सांसदों की असहमति से पारित हुआ. खुद को तीन नामांकित सांसदों ने इससे दूर रखा. प्रशासन के मुताबिक, यह विधेयक किसी की विचार, आलोचना, किसी को चिढ़ाने या दुखी करने पर लागू नहीं होता है.

•   सिंगापुर सरकार विधेयक के पारित होने से दो मानदंडों के आधार पर यह सुनिश्चित करेगी कि कौन सी खबर को फेक खबर की सूची में डालना है. ये दोनों मानदंड- जब एक फेक विज्ञापन या घोषणा जारी होती है और जब यह कार्रवाई जनहित से संबंधित मानी जाती है.

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सज़ा:

इस विधेयक के तहत किसी न्यूज में सुधार की मांग करने, सामग्री को हटाने का फैसला या जनहित के विपरीत फेक का प्रचार करने वाली वेबसाइटों को ब्लॉक करना शामिल है. इस विधेयक के तहत आदेशों का पालन न करने पर जुर्माना और सजा हो सकती है.

नए विधेयक के तहत, कानून का उल्लंघन करने वाली कंपनियों पर 735000 डॉलर का जुर्माना लगाया जा सकता है. कंपनियों को कुछ मामलों में सामग्री को हटाने का भी आदेश दिया जा सकता है. वहीं, व्यक्तियों को 10 साल तक की जेल की सजा का सामना करना पड़ सकता है.

पृष्ठभूमि:

सिंगापुर, जो अपने बड़े स्थानीय मीडिया आउटलेट्स को नियंत्रित करता है. रिपोर्टर्स विदआउट बॉर्डर (आरएसएफ) की विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में सिंगापुर 180 देशों में से 151वें पायदान पर है. इस बिल के अंतर्गत विभिन्न प्रकार के दंड प्रस्तावित किये गए हैं. इसका उपयोग विचारो और जानकारी के मुक्त आदान-प्रदान के लिए किया जा सकता है.

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Vikash Tiwari is an content writer with 3+ years of experience in the Education industry. He is a Commerce graduate and currently writes for the Current Affairs section of jagranjosh.com. He can be reached at vikash.tiwari@jagrannewmedia.com
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