श्रीलंका ने कथित युद्ध अपराधों की जांच के लिए संयुक्त राष्ट्र मानव अधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) से दो साल का विस्तार करने की मांग की है. यह उन कथित अपराधियों के खिलाफ है जो लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (एलटीटीई) के साथ तीन दशक के लंबे गृहयुद्ध के दौरान प्रतिबद्ध थे.
अक्टूबर 2015 में यूएनएचआरसी ने श्रीलंका को लिट्टे के साथ हुए संघर्ष के दौरान हानि की जांच हेतु 18 माह का समय दिया था. श्रीलंका विदेश मंत्रालय द्वारा इस अवधि को और अधिक बढ़ाये जाने की मांग की गयी है.
मुख्य बिंदु
• संयुक्त राष्ट्र द्वारा एकत्रित आंकड़ों के अनुसार इस संघर्ष के दौरान लगभग 40,000 निर्दोष नागरिक मारे गये थे. उस समय महिंद्रा राजपक्षे राष्ट्रपति थे. इस संघर्ष का अंत वर्ष 2009 में हुआ.
• श्रीलंका द्वारा मांगे गये समय में संयुक्त राष्ट्र मानव अधिकार परिषद का अनुसरण किया गया है.
• इससे पहले संयुक्त राष्ट्र के इस विभाग ने इस मामले में मानवाधिकारों के उल्लंघन की जांच हेतु एक अंतरराष्ट्रीय तथा स्थानीय जजों की निष्पक्ष अदालत बनाये जाने का आग्रह भी किया.
• इस मांग को श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे द्वारा इसे अव्यवहारिक कहकर ख़ारिज कर दिया गया.
श्रीलंका के मुख्य राजनैतिक दल तमिल नेशनल अलायंस (टीएनए) द्वारा संयुक्त राष्ट्र से इस मुद्दे पर और समय माँगा गया. हालांकि टीएनए के विरोधी दलों ने उसकी इस मांग को बेबुनियाद बताकर उसका विरोध किया.
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