सुप्रीम कोर्ट ने कोर्ट कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग की अनुमति दी

मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविलकर और डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने अपना फैसला पढ़ते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट में बड़े मामलों की लाइव स्ट्रीमिंग की जा सकेगी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये जनहित में जारी है, और इससे पारदर्शिता आएगी.

Dec 20, 2018, 10:35 IST
Supreme Court allows live streaming of court proceedings
Supreme Court allows live streaming of court proceedings

सुप्रीम कोर्ट ने 26 सितम्बर 2018 को दिशानिर्देश जारी करते हुए देश भर की अदालती कार्यवाही का अब सीधा प्रसारण (लाइव स्ट्रीमिंग) की अनुमति दे दी है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीधा प्रसारण सेवा की शुरुआत वह अपने यहां से करेगा.

सुप्रीम कोर्ट ने अदालती कार्यवाही का सीधा प्रसारण एवं वीडियो रिकॉर्डिंग करने की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए अपना फैसला सुनाया.

मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविलकर और डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने अपना फैसला पढ़ते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट में बड़े मामलों की लाइव स्ट्रीमिंग की जा सकेगी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये जनहित में जारी है, और इससे पारदर्शिता आएगी.

लाइव स्ट्रीमिंग से संबंधित मुख्य तथ्य:

•   कोर्ट ने कहा कि राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों की लाइव स्ट्रीमिंग की जाएगी जिससे न्यायिक व्यवस्था की जवाबदेही बढ़ेगी.

•   हालांकि, कोर्ट ने अयोध्या और आरक्षण जैसे मुद्दों को संवेदनशील बताते हुए इसकी लाइव स्ट्रीमिंग की इजाज़त देने से इनकार कर दिया है.

•   सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश देते हुए कहा कि वह कोर्ट की कार्यवाही के लाइव प्रसारण के लिए नियम बनाएगी.

•   न्यायालय ने कहा है कि संविधान के अनुच्छेद 145 के तहत लाइव स्ट्रीमिंग के नियम-कानून बनाए जाएं.

•   हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया था कि फिलहाल इसे प्रायोगिक तौर पर ही लागू करने पर विचार किया जा रहा है.

•   कोर्ट ने कहा कि अदालत की कार्यवाही के सीधे प्रसारण से ''जनता का जानने का अधिकार पूरा होगा.

केंद्र सरकार ने दी थी यह दलील:

केंद्र सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने अदालती कार्यवाही के लाइव प्रसारण के दिशा-निर्देशों पर अपने सुझाव अदालत में दिए थे. अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने अदालत को बताया था कि लाइव प्रसारण का पायलट प्रोजेक्ट सबसे पहले देश के मुख्य न्यायाधीश की अदालत में शुरू किया जा सकता है.

वेणुगोपाल ने यह भी बताया था कि लाइव स्ट्रीमिंग 70 मिनट की देरी से भी किया जा सकता है. ताकि जज को राष्ट्रीय सुरक्षा या व्यक्तिगत निजता के मामलों में वकील के गलत आचरण पर या किसी संवेदनशील मामले में प्रसारण के दौरान आवाज को बंद (Mute) करने का अवसर मिल सके.

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 24 अगस्त को राष्ट्रीय महत्व के मामलों में अदालत की कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग को लेकर फैसला सुरक्षित रखा था. शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा की इसे सुप्रीम कोर्ट से शुरू किया जाएगा पर इसके लिए कुछ नियमों का पालन किया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई की विडियो रिकॉर्डिंग और उसके सीधे प्रसारण को लेकर केंद्र से जवाब मांगा था.

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Vikash Tiwari is an content writer with 3+ years of experience in the Education industry. He is a Commerce graduate and currently writes for the Current Affairs section of jagranjosh.com. He can be reached at vikash.tiwari@jagrannewmedia.com
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