सुप्रीम कोर्ट ने आधार कार्ड की वैधता को मान्यता प्रदान की

Dec 20, 2018, 09:24 IST

मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ में जस्टिस एके सीकरी, जस्टिस ए.एम. खानविलकर, डीवाई चंद्रचूड़ और अशोक भूषण ने आधार की अनिवार्यता पर बुधवार को अहम फैसला सुनाया है.

Supreme Court announced verdict on aadhaar
Supreme Court announced verdict on aadhaar

सुप्रीम कोर्ट ने 26 सितंबर 2018 को केंद्र के महत्वपूर्ण आधार कार्यक्रम और इससे जुड़े 2016 के कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली कुछ याचिकाओं पर महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि आधार आम आदमी की पहचान है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आधार की संवैधानिकता कुछ बदलावों के साथ बरकरार रहेगी.

मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ में जस्टिस ए.के. सीकरी, ए.एम. खानविलकर, डी.वाई. चंद्रचूड़ और अशोक भूषण ने आधार की अनिवार्यता पर अहम फैसला सुनाया है.

सुप्रीम कोर्ट का आधार पर फैसला

•    सीबीएसई, नीट (NEET) में आधार जरूरी नहीं है. इसके आलावा स्कूल में एडमिशन के लिए भी आधार कार्ड जरूरी नहीं है.

•    आधार को मोबाइल से लिंक करना आवश्यक नहीं हैं. बैंक खाते से आधार को लिंक करने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया.

•    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आधार से पैन कार्ड को जोड़ने का फैसला बरकरार रहेगा.

•    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आधार के पीछे तार्किक सोच. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऑथेंटिकेशन डाटा सिर्फ 6 महीने तक ही रखा जा सकता है. कम से कम डेटा होना चाहिए.

•    सुप्रीम कोर्ट ने फैसला पढ़ते वक्त कहा कि आधार से समाज के बिना पढ़े-लिखे लोगों को पहचान मिली है.

•    सुप्रीम कोर्ट ने माना कि आधार आम आदमी की पहचान है.

•    पैन कार्ड के साथ-साथ सरकारी योजनाओं का लाभ प्राप्त करने के लिए भी आधार नंबर आवश्यक बना रहेगा.

•    सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि आधार अन्य आईडी प्रमाणों से भी अलग है क्योंकि इसे डुप्लीकेट नहीं किया जा सकता.

•    फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 99.76 प्रतिशत लोगों को सुविधा से वंचित नहीं किया जा सकता है. समाज को इससे फायदा हो रहा है तथा दबे कुचले तबके को इससे फायदा मिल रहा है.

•    सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, सुरक्षा मामलों में एजेंसियां आधार की मांग कर सकती हैं. सुरक्षा लहजे से आधार की मांग करना सुरक्षा एजेंसियों के लिए मान्य होगा.

 

पृष्ठभूमि

सुप्रीम कोर्ट ने मई 2018 में आधार और इससे जुड़ी 2016 के कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई पूरी कर ली थी. 38 दिन तक चली सुनवाई के बाद 10 मई को पांच न्यायाधीशों की बेंच ने फैसला सुरक्षित रखा था. पीठ ने उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश के एस पुत्तस्वामी की याचिका सहित 31 याचिकाओं पर सुनवाई की थी.

 

यूआईडीएआई

भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) एक सांविधिक प्रा‍धिकरण है, जिसकी स्थापना भारत सरकार द्वारा आधार (वित्तीय और अन्य सब्सिडी, लाभ और सेवाओं के लक्षित वितरण) अधिनियम, 2016 (“आधार अधिनियम, 2016”) के प्रावधानों के अंतर्गत, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) के तहत् दिनांक 12 जुलाई, 2016 को की गई.

यूआईडीएआई की स्थापना भारत के सभी निवा‍सियों को “आधार” नाम से एक विशिष्ट पहचान संख्या (यूआईडी) प्रदान करने हेतु की गई थी ताकि इसके द्वारा (क) दोहरी और फर्जी पहचान समाप्त की जा सके और (ख) उसे आसानी से एवं किफायती लागत में सत्यापित और प्रमाणित किया जा सके. प्रथम यूआईडी नम्बर महाराष्ट्र के नन्दूरबार की निवासी रंजना सोनवाने को 29 सितम्बर 2010 को जारी किया गया.

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पृष्ठभूमि

सुप्रीम कोर्ट ने मई 2018 में आधार और इससे जुड़ी 2016 के कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई पूरी कर ली थी. 38 दिन तक चली सुनवाई के बाद 10 मई को पांच न्यायाधीश की बेंच ने फैसला सुरक्षित रखा था. पीठ ने उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश के एस पुत्तस्वामी की याचिका सहित 31 याचिकाओं पर सुनवाई की थी.

 

Gorky Bakshi is a content writer with 9 years of experience in education in digital and print media. He is a post-graduate in Mass Communication
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