उच्चतम न्यायालय ने 25 नवम्बर 2016 को दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में तत्काल प्रभाव से अगले आदेश तक के लिये सभी पटाखा विक्रेताओं के लाइसेंस निलंबित कर दिये. पटाखों की बिक्री और खरीद पर एक तरह से प्रतिबंध लगाते हुए उच्चतम न्यायालय ने यह आदेश जारी किया हैं. उन्होंने वायु प्रदूषण नियंत्रित करने की दिशा में कठोर कार्रवाई की है.
उच्चतम न्यायालय ने केन्द्र सरकार को यह निर्देश भी दिया कि अगले आदेश तक किसी भी लाइसेंस का नवीनीकरण नहीं किया जाये. न्यायालय ने केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को इन पटाखों में प्रयुक्त सामग्री के दुष्प्रभावों का अध्ययन करके छह महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है.
पटाखों की बिक्री, खरीद और उनके भण्डारण के लाइसेंस तत्काल प्रभाव से निलंबित करने का अर्थ है की राजधानी और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में इन पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाना ही है. उच्चतम न्यायालय ने 11 नवंबर 2016 को इससे संबंधित सुनवाई पूरी करते हुये कहा था कि वह एक एक कदम बढ़ाएगा क्योंकि पटाखे अब जीवन का हिस्सा बन चुके हैं.
उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि वह पटाखों के वायु की गुणवत्ता, स्वास्थ्य तथा जीवन शैली पर पड़ने वाले प्रभाव पर शोध और इस बारे में रिपोर्ट के अवलोकन के बगैर कोई अंतिम आदेश नहीं देगा.
उच्चतम न्यायालय ने यह भी कहा था कि रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में 30 फीसदी बच्चे अस्थमा से प्रभावित हैं और इसलिए महत्वपूर्ण कदम उठाने की आवश्यकता है.
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