बिहार के 3.5 नियोजित टीचर्स को नहीं मिलेगा समान वेतन: सुप्रीम कोर्ट, जाने पूरा मामला

May 10, 2019, 12:51 IST

पटना हाई कोर्ट द्वारा नियोजित टीचरों को नियमित सरकारी टीचरों के समान वेतन देने का आदेश दिया गया था. बिहार में लगभग 3.5 लाख नियोजित शिक्षक काम कर रहे हैं.

Supreme Court refuses to regularise Bihar contractual teachers jobs
Supreme Court refuses to regularise Bihar contractual teachers jobs

सुप्रीम कोर्ट ने 10 मई 2019 को बिहार के लगभग 3.5 लाख नियोजित टीचर्स के समान वेतन संबंधित फैसले को रद्द कर दिया है. बिहार सरकार की अपील मंजूर करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाई कोर्ट के फैसले को निरस्त कर दिया.

इस मामले में बिहार सरकार की अपील सुप्रीम कोर्ट ने मंजूर कर ली है. बिहार के लगभग 3.5 लाख नियोजित शिक्षकों के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है. यह फैसला जस्टिस अभय मनोहर सप्रे और जस्टिस उदय उमेश ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुनाया.

बिहार सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में अपील:

बिहार सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर कर कहा गया था कि नियोजित टीचर पंचायती राज निकायों के कर्मी हैं और बिहार सरकार के कर्मचारी नहीं हैं, ऐसे में इन्हें सरकारी टीचरों के बराबर सैलरी नहीं दी जा सकती.

पटना हाई कोर्ट द्वारा नियोजित टीचरों को नियमित सरकारी टीचरों के समान वेतन देने का आदेश दिया गया था. बिहार सरकार ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी और आदेश पर तत्काल रोक लगाने की मांग की थी.

पटना हाई कोर्ट द्वारा दिया गया फैसला:

पटना हाई कोर्ट द्वारा नियोजित टीचरों को नियमित सरकारी टीचरों के समान वेतन देने का आदेश दिया गया था. हाई कोर्ट ने शिक्षकों के हक में फैसला सुनाया था और बिहार सरकार को समान वेतन देने का आदेश दिया था. बिहार सरकार ने हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी.

सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को लेकर 11 याचिकाओं पर सुनवाई की गई थी, जिसके बाद कोर्ट ने 3 अक्टूबर 2018 को फैसला सुरक्षित रख लिया था. बिहार में समान कार्य के लिए समान वेतन की मांग को लेकर नियोजित शिक्षक काफी समय से आंदोलन कर रहे हैं.

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शिक्षक संघ द्वारा दी गई सफाई:

शिक्षक संघ की ओर से कोर्ट में तर्क दिया जा रहा है कि समान काम हेतु समान वेतन दिया जाना चाहिये और नियोजित शिक्षकों का यह मौलिक अधिकार है.

पंचायती राज संस्था द्वारा हुई शिक्षकों की बहाली:

केंद्र सरकार नियोजित शिक्षकों को समान वेतन देने हेतु राशि बढ़ाने पर सहमत नहीं दिखी थी. सुप्रीम कोर्ट में अटॉर्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल ने कहा था कि शिक्षकों की नियुक्ति और वेतन देना राज्य सरकार का काम है. इसमें केंद्र सरकार की कोई भूमिका नहीं है. केंद्र सरकार ने कहा था कि नियमित शिक्षकों की बहाली बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) के द्वारा हुई है. वहीं नियोजित शिक्षकों की बहाली पंचायती राज संस्था से ठेके पर हुई है, इसलिए नियोजित शिक्षकों को समान वेतन नहीं दिया जा सकता है.

पूरा मामला: एक नजर में

बिहार में लगभग 3.5 लाख नियोजित शिक्षक काम कर रहे हैं. शिक्षकों के वेतन का 70 प्रतिशत पैसा केंद्र सरकार और 30 प्रतिशत पैसा राज्य सरकार देती है. बिहार सरकार ने कहा था कि वह आर्थिक रूप से शिक्षकों को वेतन देने में सक्षम नहीं है. सरकार शिक्षकों के वेतन में मात्र 20 प्रतिशत तक वृद्धि कर सकती है. पटना हाईकोर्ट ने कम वेतन के मामले पर 31 अक्टूबर 2017 को नियोजित शिक्षकों के पक्ष में फैसला सुनाया था. बाद में बिहार सरकार ने 15 दिसंबर 2017 को सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी.

Vikash Tiwari is an content writer with 3+ years of experience in the Education industry. He is a Commerce graduate and currently writes for the Current Affairs section of jagranjosh.com. He can be reached at vikash.tiwari@jagrannewmedia.com
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