सुप्रीम कोर्ट का किसान आंदोलन पर बड़ा फैसला, तीनों कृषि कानूनों पर लगाई रोक
चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली बेंच ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कानूनों पर रोक लगाई, साथ ही एक कमेटी का गठन कर दिया है. जो कि सरकार और किसानों के बीच कानूनों पर जारी विवाद को समझेगी और सर्वोच्च अदालत को रिपोर्ट सौंपेगी.

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीनों कृषि कानूनों के अमल पर रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट ने आंदोलन और कृषि कानूनों को लेकर 12 जनवरी 2021 को बड़ा फैसला सुनाया है. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने तीनों कृषि कानूनों पर रोक लगाते हुए किसानों के मुद्दे के समाधान के लिए कमिटी गठित करने का आदेश दिया है.
चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली बेंच ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कानूनों पर रोक लगाई, साथ ही एक कमेटी का गठन कर दिया है. जो कि सरकार और किसानों के बीच कानूनों पर जारी विवाद को समझेगी और सर्वोच्च अदालत को रिपोर्ट सौंपेगी.
कोर्ट ने क्या कहा?
कोर्ट ने कहा कि समिति इसलिए बनाई जा रही है ताकि इस मुद्दे को लेकर तस्वीर साफ हो, हम ये बहस नहीं सुनेंगे कि किसान समिति के सामने पेश नहीं होंगे. कोर्ट ने कहा कि ये कमेटी हमारे लिए होगी, ये कमेटी कोई आदेश नहीं जारी करेगी बल्कि आपकी समस्या सुनकर हम तक एक रिपोर्ट भेजेगी. कोर्ट ने आगे कहा कि हम अपनी शक्तियों के अनुसार ही इस मामले को सुलझाना चाहते हैं. हमारे पास जो शक्तियां हैं, उनके आधार पर हम कानून के अमल को निलंबित और एक कमेटी गठित कर सकते हैं.
कृषि कानून पर विरोध
केंद्र सरकार ने जिन तीन कृषि कानूनों को पास किया, उसका लंबे समय से विरोध हो रहा था. दिल्ली की सीमाओं पर हजारों की संख्या में किसान आंदोलन कर रहे हैं, इसी के बाद मामला सुप्रीम कोर्ट के पास जा पहुंचा.
कमेटी का गठन
सुप्रीम कोर्ट द्वारा जिस कमेटी का गठन किया गया है, उसमें कुल चार लोग शामिल होंगे. इनमें भारतीय किसान यूनियन के भूपेंद्र सिंह मान, डॉ. प्रमोद कुमार जोशी (अंतरराष्ट्रीय नीति प्रमुख), अशोक गुलाटी (कृषि विशेषज्ञ) और अनिल घनवंत (शिवकेरी संगठन, महाराष्ट्र) शामिल हैं. ये कमेटी अपनी रिपोर्ट सीधे सुप्रीम कोर्ट को ही सौंपेगी, जबतक कमेटी की रिपोर्ट नहीं आती है तबतक कृषि कानूनों के अमल पर रोक जारी रहेगी.
किसानों की लड़ाई 50 दिनों से जारी है
दिल्ली की सीमा पर किसानों का जमावड़ा पिछले 50 दिनों से लगा हुआ है. अलग-अलग बॉर्डर पर हजारों की संख्या में किसान जिनमें बुजुर्ग, महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं, डटे हुए हैं. कृषि कानून की मुश्किलों को दूर करने के लिए सरकार और किसान संगठन कई राउंड की बैठक भी कर चुके थे, लेकिन सहमति नहीं बन सकी.