उपराज्यपाल vs दिल्ली सरकार: सेवाओं के विषय पर जजों की राय अलग, जानिए सुप्रीम कोर्ट का फैसला

Feb 14, 2019, 13:15 IST

जस्टिस ए.के. सीकरी की अगुआई वाली बेंच के पास अफसरों की पोस्टिंग और ट्रांसफर, एंटी-करप्शन ब्यूरो, सरकारी सेवा आदि पर कायम गतिरोध को दूर करने के लिए याचिकाएं दाखिल की गई थीं.

Supreme Courts verdict in Delhi government vs LG case
Supreme Courts verdict in Delhi government vs LG case

दिल्ली सरकार बनाम उपराज्यपाल (एलजी) मामले में सुप्रीम कोर्ट के दो जजों ने अपनी अलग-अलग राय व्यक्त की है. जस्टिस ए.के. सीकरी और जस्टिस अशोक भूषण की बेंच ने अधिकारियों की नियुक्ति और ट्रांसफ़र का अधिकार केंद्र के पास हो या दिल्ली सरकार के पास, इस मामले में अलग-अलग मत व्यक्त किया है.

जस्टिस ए.के. सीकरी की अगुआई वाली बेंच के पास अफसरों की पोस्टिंग और ट्रांसफर, एंटी-करप्शन ब्यूरो, सरकारी सेवा आदि पर कायम गतिरोध को दूर करने के लिए याचिकाएं दाखिल की गई थीं. इससे पहले कोर्ट ने पिछले साल अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.

सुप्रीम कोर्ट का फैसला

•    जस्टिस सीकरी ने कहा कि एंटी-करप्शन ब्यूरो का कंट्रोल केंद्र के पास रहे क्योंकि पुलिस केंद्र के पास होती है.

•    सर्किल रेट का अधिकार दिल्ली सरकार को दिया गया है.

•    बिजली और पानी जैसे विषयों पर भी दिल्ली सरकार को अधिकार दिया गया है.

•    बिजली विभाग, राजस्व विभाग, ग्रेड 3 और ग्रेड 4 अधिकारी की पोस्टिंग-ट्रांसफर दिल्ली सरकार के अंतर्गत आएगा.

•    किसानों को दिए जाने वाले मुआवजे पर दिल्ली सरकार को अधिकार दिया गया है.

•    सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कमिशन ऑफ इन्क्वायरी एक्ट के तहत अधिकार उपराज्यपाल के पास रहेंगे. दिल्ली सरकार जांच आयोग का गठन नहीं कर सकती है. हालांकि, सीएम सरकारी वकील की नियुक्ति कर सकते हैं.

•    दोनों जजों ने कहा कि रेवेन्यू या ट्रांसफर, पोस्टिंग के मामले में दिल्ली सरकार और एलजी के बीच अगर कोई मतभेद होता है तो मामले राष्ट्रपति के पास जाएगा.

विवादित मुद्दों पर दोनों जजों की राय

•    राज्य सूची में राज्य पब्लिक सर्विसेज की एंट्री 41 के अधीन दिल्ली सरकार की कार्यकारी शक्तियों के संबंध में जस्टिस सीकरी और जस्टिस भूषण की राय भिन्न थी.

•    जस्टिस भूषण ने कहा कि दिल्ली सरकार के पास इस संबंध में कोई कार्यकारी शक्तियां नहीं हैं.

•    दूसरी ओर, जस्टिस सीकरी ने कहा कि ज्वाइंट सेक्रेट्री और उसके ऊपर की रैंक के अधिकारियों की नियुक्ति का अधिकार उपराज्यपाल के पास रहेगा. उससे नीचे की रैंक के अधिकारियों की नियुक्ति और ट्रांसफर का अधिकार राज्य सरकार के पास रहेगा.

•    'सर्विसेज़' के मुद्दे पर जस्टिस अशोक भूषण का फैसला जस्टिस ए.के. सीकरी से अलग है, उनका कहना है कि सभी अधिकारियों के ट्रांसफर का अधिकार केंद्र सरकार के ही पास है.

•    जस्टिस सीकरी ने कहा कि आईएएस अधिकारियों की पोस्टिंग और ट्रांसफर का अधिकार एलजी को दिया जाए जबकि दानिक्स (दिल्ली अंडमान एंड निकोबार, आइसलैंड सिविल सर्विस) के पावर दिल्ली सरकार के पास रहे.

•    दिल्ली में सर्विसेज़ का नियंत्रण किसके पास होगा, इस पर दोनों जजों की राय में मतभेद होने के कारण इसका फैसला अब सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यों की बेंच करेगी.

पृष्ठभूमि


केंद्र सरकार ने 21 मई, 2015 को अधिसूचना जारी की थी. इस अधिसूचना के अनुसार पब्लिक आर्डर, पुलिस और भूमि के अलावा सर्विस मामलों का क्षेत्राधिकार भी उपराज्यपाल को सौंप दिया था, जिसके खिलाफ दिल्ली सरकार की अपील सुप्रीम कोर्ट में लंबित है. एंटी करप्शन ब्यूरो में दिल्ली सरकार के अधिकारों में कटौती वाली केंद्र की 23 जुलाई, 2015 की अधिसूचना को चुनौती देने वाली अपील भी लंबित है. हाईकोर्ट ने दोनों ही मामलों में दिल्ली सरकार की याचिकाएं खारिज कर दीं थीं. दिल्ली सरकार की अपील पर जस्टिस ए.के. सीकरी और जस्टिस अशोक भूषण की पीठ ने विस्तृत सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.

Gorky Bakshi is a content writer with 9 years of experience in education in digital and print media. He is a post-graduate in Mass Communication
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