सुषमा स्वराज ने मॉरीशस में पाणिनि भाषा प्रयोगशाला का उद्घाटन किया

Aug 21, 2018, 09:58 IST

पाणिनि भाषा प्रयोगशाला का उद्देश्य युवा पीढ़ी में हिंदी समेत अन्य भारतीय भाषाओं में पठन-पाठन के प्रति रूचि विकसित करना है. केन्द्र सरकार का भारत के हर राज्य में भी पाणिनि प्रयोगशाला खोलने का विचार है

Sushma Swaraj inaugurates Panini Language lab in Mauritius
Sushma Swaraj inaugurates Panini Language lab in Mauritius

विश्व हिंदी दिवस सम्मेलन के अवसर पर 20 अगस्त 2018 को सुषमा स्वराज ने मॉरीशस में पाणिनि भाषा प्रयोगशाला का उद्घाटन किया. यह प्रयोगशाला मॉरीशस के गोस्वामी तुलसीदास नगर में आरंभ की गई है.

इसका उद्देश्य युवा पीढ़ी में हिंदी समेत अन्य भारतीय भाषाओं में पठन-पाठन के प्रति रूचि विकसित करना है. इस दौरान भारत में भी पाणिनि भाषा प्रयोगशाला आरंभ किये जाने का विचार प्रकट किया गया.

मुख्य बिंदु

•    विदेशी मंत्री सुषमा स्वराज ने 11वें विश्व हिंदी सम्मेलन में आये भारतीय मीडिया के प्रतिनिधियों से बातचीत के दौरान कहा कि केन्द्र सरकार का देश के हर राज्य में पाणिनि प्रयोगशाला खोलने का विचार है ताकि युवा पीढ़ी हिन्दी, तेलगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम समेत अन्य भारतीय भाषाओं को सीख सकें.

•    किसी भी भाषा को सीखने के लिए किसी को बाध्य करना या दबाव बनाना सही नहीं है. लोगों में स्वत: भाषा सीखने की रूचि होनी चाहिए इसमें पाणिनि प्रयोगशाला मददगार साबित हो सकती है.

•    इस अवसर पर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा कि भारत में भाषा-शिक्षण से सम्बन्धित नीति ‘त्रिभाषा सूत्र’ बनायी गयी थी जिसमें हिन्दीभाषी राज्यों में दक्षिण की कोई भाषा पढ़ाने के संबंध में संस्तुति की गयी.

त्रिभाषा सूत्र

त्रिभाषा सूत्र को वर्ष 1956 में अखिल भारतीय शिक्षा परिषद् ने इसे मूल रूप में अपनी संस्तुति के रूप में मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन में रखा था और मुख्यमंत्रियों ने इसका अनुमोदन भी कर दिया था. वर्ष 1968 राष्ट्रीय शिक्षा नीति में इसका समर्थन किया गया था और वर्ष 1968 में ही पुन: अनुमोदित कर दिया गया था. वर्ष 1992 में संसद ने इसके कार्यान्वयन की संस्तुति कर दी थी. यह संस्तुति राज्यों के लिए बाध्यता मूलक नहीं थी क्योंकि शिक्षा राज्यों का विषय है. वर्ष 2000 में यह देखा गया कि कुछ राज्यों में हिन्दी और अंग्रेजी के अतिरिक्त इच्छानुसार संस्कृत, अरबी, फ्रेंच, तथा पुर्तगाली भी पढ़ाई जाती हैं.

त्रिभाषा सूत्र में पहली, शास्त्रीय भाषाएं जैसे संस्कृत, अरबी, फारसी. दूसरी राष्ट्रीय भाषाएं और तीसरी आधुनिक यूरोपीय भाषाएं शामिल हैं. इन तीनों श्रेणियों में किन्हीं तीन भाषाओं को पढ़ाने का प्रस्ताव है. इसमें यह भी संस्तुति है कि हिन्दी भाषी राज्यों में दक्षिण की कोई भाषा पढ़ाई जानी चाहिए.

Gorky Bakshi is a content writer with 9 years of experience in education in digital and print media. He is a post-graduate in Mass Communication
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