तालिबान शासन के बाद से अफगानिस्तान के आर्थिक हालात बहुत ही बदतर हो चुके हैं. यहां के बैंक नकदी की कमी से जूझ रहे हैं. अफगानिस्तान में तालिबान ने 02 नवंबर 2021 को विदेशी मुद्राओं के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की. अफगानी मुद्रा का तेजी से अवमूल्यन हो रहा है.
तालिबान ने कहा कि आर्थिक परिस्थितियों को देखते हुए देश के सभी लोग राष्ट्रीय हित के लिए केवल अफगान मुद्रा का ही इस्तेमाल करें. यह फैसला ऐसे समय लिया गया है, जब देश नकदी की कमी और भुखमरी की कगार पर है. अफगानिस्तान के अंदर गंभीर आर्थिक संकट का मुख्य कारण तालिबान सरकार को मान्यता न मिलना है.
बैंकों के पास नगदी की कमी
अर्थव्यवस्था के चरमराने से परेशान बैंकों के पास नगदी की कमी हो रही है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने अब तक तालिबान प्रशासन को सरकार के रूप में मान्यता देने से इनकार कर दिया है. इस बीच, देश के अंदर कई लेन-देन अमेरिकी डॉलर में किए जाते हैं और दक्षिणी सीमा व्यापार मार्गों के करीब के क्षेत्रों में पाकिस्तानी रुपये का उपयोग किया जाता है.
विदेशी मुद्रा का उपयोग करने वाले पर मुकदमा
तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने एक प्रेस बयान में घोषणा की कि अब से घरेलू व्यापार के लिए विदेशी मुद्रा का उपयोग करने वाले पर मुकदमा चलाया जाएगा. उन्होंने कहा कि देश में आर्थिक स्थिति और राष्ट्रीय हितों की आवश्यकता है कि सभी अफगान हर लेन-देन में अफगानी मुद्रा का उपयोग करें. तालिबान सरकार ने कहा है कि राष्ट्रीय हित में आम नागरिक, व्यापारी, छोटे दुकानदार घरेलू व्यापार के लिए अफगान मुद्रा का ही उपयोग करेंगे. ऐसा न करने पर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी और कठोर सजा भी दी जाएगी.
अफगानिस्तान को मदद मिलनी बंद
अमेरिकी सेना के जाने के बाद अंतरराष्ट्रीय रूप से अफगानिस्तान को मदद मिलनी भी बंद हो गई है. वहीं, तालिबान अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाने की कोशिश में लगा है, लेकिन किसी भी देश की तरफ से उसे अभी औपचारिक रूप से समर्थन नहीं मिला है. वहीं, तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान की दूसरे देशों की संपत्ति भी सीज कर दी गईं हैं, जिससे तालिबान के सामने धन का बड़ा संकट है.
अफगानिस्तान में तालिबान सरकार
आतंकवादी संगठन तालिबान ने अगस्त के मध्य में अफगानिस्तान सत्ता पर कब्जा कर लिया था. किसी भी देश ने अभी तक तालिबान को कानूनी तौर पर मान्यता नहीं दी है, जिससे आर्थिक समस्या उत्पन्न हो रही है. यही कारण है कि अफगानिस्तान की मुद्रा जो विदेशों में जमा है, उसे भी तालिबान प्रयोग नहीं कर पा रहा है.
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