Teachers' Day 2020: डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को उनकी जयंती पर सम्मानित करने के लिए प्रत्येक साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस (Teachers' Day) मनाया जाता है. डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति थे. डॉ. राधाकृष्णन का जन्म 05 सितंबर 1888 को हुआ था.
Teacher’s Day 2020 के अवसर पर डॉ. राधाकृष्णन की 132वीं जयंती मनाई जा रही है. डॉ. राधाकृष्णन का मानना था कि शिक्षकों के पास देश का सर्वश्रेष्ठ दिमाग होना चाहिए. साल 1962 से, जिस वर्ष वे भारत के दूसरे राष्ट्रपति बने, शिक्षक दिवस उनके जन्मदिन पर मनाया जाने लगा.
शिक्षक दिवस क्यों मनाया जाता है?
भारत के प्रथम उप-राष्ट्रपति तथा दूसरे राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती 05 सितंबर को होती है. उन्हीं की याद में प्रत्येक साल 05 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है.
शिक्षक दिवस का महत्व
शिक्षक दिवस का उद्देश्य किसी व्यक्ति के जीवन को आकार देने में सभी शिक्षकों के योगदान को महत्व देना है. इस दिन स्कूलों में छुट्टी नहीं होती और छात्रों को स्कूल जाना होता है. हालांकि स्कूल में सामान्य कक्षाओं को उत्सव की गतिविधियों से बदल दिया जाता है और शिक्षकों को उनकी कड़ी मेहनत और छात्र के शैक्षिक जीवन में अंतहीन योगदान के लिए सम्मानित किया जाता है. शिक्षक दिवस उन सभी शिक्षकों, गुरुओं और गुरुओं को समर्पित है जो अपने छात्रों को बेहतर मानव बनने के लिए उनका मार्गदर्शन करते हैं.
कैसे हुई शुरुआत?
डॉ. राधाकृष्णन के जन्मदिन के शुभ अवसर पर उनके छात्रों और दोस्तों ने उनसे उनका जन्मदिन मनाने की अनुमति देने का अनुरोध किया, लेकिन जवाब में डॉ. राधाकृष्णन ने कहा कि “मेरे जन्मदिन को अलग से मनाने के बजाय, यह सौभाग्य की बात होगी कि 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाए.”
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को मिले सम्मान
डॉ. राधाकृष्णन को साल 1954 में भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया था. उन्हें कई अन्य प्रतिष्ठित पुरस्कारों के साथ-साथ साल 1931 में नाइटहुड और साल 1963 में ब्रिटिश रॉयल ऑर्डर ऑफ मेरिट की मानद सदस्यता से सम्मानित किया गया था. डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को नोबेल पुरस्कार के लिए 27 बार, साहित्य में नोबेल पुरस्कार के लिए 16 बार और नोबेल शांति पुरस्कार के लिए 11 बार नामांकित किया गया था.
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के बारे में
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 05 सितम्बर 1888 को तिरुट्टनी, तमिलनाडु में हुआ था. वे भारतीय संस्कृति के संवाहक, प्रख्यात शिक्षाविद, महान दार्शनिक तथा एक आस्थावान हिन्दू विचारक थे.
वे बचपन से ही किताबें पढ़ने के शौकीन थे तथा स्वामी विवेकानंद से काफी प्रभावित थे. उनके पिताजी उनके अंग्रेजी पढ़ने या स्कूल जाने के विरुद्ध थे. वे अपने बेटे को पुजारी बनाना चाहते थे. उनको ब्रिटिश शासनकाल में 'सर' की उपाधि भी दी गई थी.
उन्होंने 40 सालों तक शिक्षक के रूप में काम किया. वे साल 1939 से साल 1948 तक काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति पद पर आसीन रहे. वे 13 मई 1952 को भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति बने तथा वे 13 मई 1962 को भारत के द्वितीय राष्ट्रपति बने थे.
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