150 फुट सिकुड़ गया है चांद: नासा अध्ययन

May 15, 2019, 09:57 IST

नासा द्वारा अध्ययन में यह देखा गया है कि चंद्रमा के उत्तरी ध्रुव के पास चंद्र बेसिन 'मारे फ्रिगोरिस' में दरार पैदा हो रही है.

The Moon Is Shrinking and Shaking NASA study
The Moon Is Shrinking and Shaking NASA study

नैशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) द्वारा किये गये हालिया अध्ययन के अनुसार चांद का आकार लगातार सिकुड़ रहा है. नासा के लूनर रीकॉनिसेंस ऑर्बिटर (LRO) द्वारा ली गईं 12,000 से अधिक तस्वीरों के विश्लेषण से यह जानकारी सामने आई है. इस अध्ययन में यह पाया गया है कि चंद्रमा का आकार विभिन्न कारणों से लगातार सिकुड़ रहा है.

लूनर रीकॉनिसेंस ऑर्बिटर द्वारा चंद्रमा की 3डी तस्वीरें ली गई हैं. इन तस्वीरों में चंद्रमा में हुए परिवर्तनों को देखा जा सकता है. वैज्ञानिकों ने इन तस्वीरों का वैज्ञानिक विश्लेषण किया तथा चंद्रमा की सतह पर हो रहे बदलावों का अध्ययन करके यह रिपोर्ट जारी की.

मुख्य बिंदु

•    नासा द्वारा अध्ययन में यह देखा गया कि चंद्रमा के उत्तरी ध्रुव के पास चंद्र बेसिन 'मारे फ्रिगोरिस' में दरार पैदा हो रही है और जो अपनी जगह से खिसक भी रही है.

•    नासा का मानना है कि ऊर्जा खोने की प्रक्रिया के कारण ही चंद्रमा पिछले लार्खों वर्षों से धीरे धीरे लगभग 150 फुट तक सिकुड़ गया है.

•    यह भी संभावना जताई गई है कि लाखों साल पहले हुई भूगर्भीय गतिविधियां आज भी जारी हैं.

•    चंद्रमा पर आने वाले भूकम्पों के कारण चंद्रमा को सबसे अधिक हानि होती है जिसके कारण यह धीरे-धीरे सिकुड़ रहा है.

•    पृथ्वी के विपरीत चंद्रमा पर कोई टैक्टोनिक प्लेट्स नहीं है तथा चंद्रमा का 'मारे फ्रिगोरिस' भूवैज्ञानिक नजरिये से मृत स्थल माना जाता है इसके बावजूद चंद्रमा पर टैक्टोनिक गतिविधियां हो रही हैं.

•    वैज्ञानिकों का मानना है कि चंद्रमा में ऐसी गतिविधि ऊर्जा खोने की प्रक्रिया में 4.5 अरब साल पहले हुई थी.

•    ऊर्जा खोने पर चंद्रमा की सतह सिकुड़ती है और फिर सीधी होती है लेकिन यह अपनी पहली अवस्था में न आकर थोड़ी सिकुड़ी हुई रह जाती है, यही प्रक्रिया चंद्रमा पर भूकंप पैदा करती है.

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लूनर रीकॉनिसेंस ऑर्बिटर (Lunar Reconnaissance Orbiter) (LRO)

लूनर रीकॉनिसेंस ऑर्बिटर (LRO) नासा का एक रोबोटिक अंतरिक्ष यान है जो वर्तमान में एक ध्रुवीय मानचित्रण कक्षा में चंद्रमा की परिक्रमा कर रहा है. एलआरओ द्वारा एकत्रित की गई जानकारी चंद्रमा पर मानव के भविष्य को निर्धारित करने में अहम भूमिका निभाती है. एलआरओ द्वारा किये जा रहे मैपिंग से चंद्रमा की सतह पर उतरने वाले अंतरिक्ष यानों को भी सहायता मिल रही है. अन्तरिक्ष यानों को सुरक्षित लैंडिंग की सतह के बारे में सटीक जानकरी मिल जाती है. नासा द्वारा इसे 18 जून 2009 को लॉन्च किया गया था. यह चंद्रमा की 3डी तस्वीरें पृथ्वी पर भेजता है. इसके द्वारा भेजी गई पहली तस्वीर 2 जुलाई 2009 को प्रकाशित की गई थी.

 

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Gorky Bakshi is a content writer with 9 years of experience in education in digital and print media. He is a post-graduate in Mass Communication
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