केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सजायाफ्ता व्यक्तियों के हस्तांतरण पर भारत और एस्टोनिया के बीच हुए समझौते को मंजूरी प्रदान कर दी. बैठक का नेतृत्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया.
समझौते पर हस्ताक्षर के बाद एस्टोनियों में बंद या एस्टोनिया के भारत में बंद कैदियों को अपनी शेष सजा को भुगतने के लिए अपने परिजनों के समीप आने का मौका मिलेगा. इससे उन्हें सामाजिक पुनर्वास की सुविधा प्रदान करने में भी सहूलियत होगी.
पृष्ठभूमि-
- वर्ष 2004 से पहले कोई घरेलू कानून नहीं था जिसके तहत विदेशी कैदियों को उनके मूल देश में स्थानांतरित किया जा सके और बाकी की बची सजा को काट सके.
- विदेशी अदालतों द्वारा दोषी करार दिए गए भारतीय मूल के लोगों को हस्तांतरित करने की व्यवस्था भी नहीं थी.
- ऐसे कैदियों के उनके हस्तातंरण से उन्हें अपने देश में सामाजिक पुनर्वास मिल सकेगा.
- उपर्युक्त उद्देश्य से उस समय कैदियों का प्रत्यावर्तन अधिनियमि 2003 लागू किया गया था. भारत इसको अपने राजपत्र में अधिसूचित करेगा.
- अधिनियम के उद्देश्यों को हासिल करने के लिए दोनों देशों के बीच इस समझौते पर हस्ताक्षर किए गए.
भारत ने जिन देशों के साथ समझौता किया-
- भारत सरकार ने अब तक सजायाफ्ता व्यक्तियों के हस्तांतरण के लिए ब्रिटेन, मॉरिशस, बुल्गारिया, फ्रांस, मिस्र, श्रीलंका, कम्बोडिया, दक्षिण कोरिया, सउदी अरब, ईरान, बांग्लादेश, ब्राजील, इजरायल, बोस्निया और हर्जेगोविना, संयुक्त अरब अमीरात, इटली, तुर्की, मालदीव, थाईलैंड, रूस संघ, कुवैत, वियतनाम, ऑस्ट्रेलिया, हांगकांग, कतर, मंगोलिया, कजख्तस्तान और बहरीन के साथ इस तरह के द्वीपक्षीय समझौते किए हैं.
- इस समझौते के तहत अब तक 65 कैदियों का हस्तातंरण हुआ है जिनमें 55 भारतीय हैं.
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