जापान के टोक्यो शहर में होने वाले ओलंपिक खेलों के शुरू होने में अब कुछ ही दिन का समय बाकी रह गया है. कोरोना वायरस की वजह से पिछले साल से लगातार खेल प्रभावित हो रहे हैं और यह क्रम अब भी जारी है. ओलंपिक खेलों में भाग लेने वाले खिलाड़ियों के लिए बनाए गए गांव में एक व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव पाया गया है. आयोजकों ने इस बात की सूचना दी है. यह पहला ऐसा मामला है, जो इन खेलों में कोरोना संक्रमण के बारे में चिंताओं को बढ़ाता है.
टोक्यो ओलंपिक 2020 के काउंटडाउन की शुरुआत हो चुकी है. खेलों के इस महाकुंभ में अपना जलवा बिखेरने के लिए भारतीय दल भी पूरी तरह तैयार है. भारत की तरफ से इस साल 126 खिलाड़ियों का दल ओलंपिक में जा रहा है. ओलंपिक में भारत से भेजे जाने वाला यह अब तक का सबसे बड़ा दल है. भारत इस बार 18 खेलों की 69 प्रतिस्पर्धाओं में भाग लेगा. ये भी पहला मौका होगा, जब भारत इतनी बड़ी संख्या में खेलों की अलग-अलग प्रतिस्पर्धा में हिस्सा लेगा.
ओलंपिक में भारत का इतिहास
साल 1896 में ग्रीस में आधुनिक ओलंपिक खेलों का आगाज हुआ था. साल 1900 के पेरिस ओलंपिक में नार्मन पिचार्ड ने ब्रिटिश शासन वाले भारत के लिए इन खेलों में भाग लिया था. उन्होंने पुरुषों की 200 मीटर तथा 200 मीटर बाधा दौड़ में रजत पदक जीता था. ओलंपिक इतिहासकार पिचार्ड के प्रदर्शन को भारत के पदकों में शामिल नहीं करते. ब्रिटेन भी दावा कर चुका है कि पिचार्ड ने ओलंपिक में उनकी तरफ से हिस्सा लिया था. हालांकि अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) के रिकॉर्ड में पिचार्ड के पेरिस में जीते गए दोनों रजत पदक भारत के नाम पर ही दर्ज हैं.
पेरिस के बाद भारत अगले तीन ओलंपिक खेलों में हिस्सा नहीं ले सका. सर दोराबजी टाटा और बॉम्बे के गवर्नर जॉर्ज लॉयड ने अपने अथक प्रयासों से भारत को आईओसी की सदस्यता दिलाई. भारत ने इसके बाद साल 1920 के एंटवर्प (बेल्जियम) ओलंपिक में पहली बार आधिकारिक तौर पर अपनी टीम भेजी. भारत ने इस साल 6 खिलाड़ियों का दल भेजा था. जबकि साल 1924 में भारत की तरफ से 15 खिलाड़ियों के दल ने ओलंपिक में शिरकत की. साल 2016 के रियो ओलंपिक में 118 खिलाड़ियों ने भारत का प्रतिनिधित्व किया था.
भारत ने अब तक 28 पदक जीते हैं
भारत ने साल 1900 से साल 2016 तक ओलंपिक में अब तक कुल 28 पदक अपने नाम किए हैं. इनमें नौ स्वर्ण पदक, सात रजत पदक और 12 कांस्य पदक यानी ब्रॉन्ज मेडल शामिल हैं. साल 1928 के एम्सटर्डम ओलंपिक में हॉकी टीम ने भारत को उसका पहला स्वर्ण पदक दिलाया. इसके बाद भारतीय हॉकी टीम ने लॉस एंजेलिस (1932), बर्लिन (1936), लंदन (1948), हेलसिंकी (1952) और मेलबर्न (1956) के ओलंपिक खेलों में लगातार स्वर्ण पदक जीते. इस समय को भारतीय हॉकी का स्वर्णिम दौर भी कहा जाता है.
भारत ने अब तक के ओलंपिक इतिहास में सबसे ज्यादा मेडल हॉकी में अपने नाम किए हैं. भारत ने हॉकी में 11 मेडल जीते हैं, जो सबसे ज्यादा है. हॉकी में भारत ने आठ स्वर्ण पदक, एक रजत पदक और एक कांस्य पदक अपने नाम किया है. जबकि निशानेबाजी में चार पदक जीते हैं. इसके अतिरिक्त भारत ने कुश्ती में पांच, बैडमिंटन और मुक्केबाजी में दो-दो तथा टेनिस और वेटलिफ़्टिंग में एक-एक पदक अपने नाम किया है.
1952 के हेलसिंकी ओलंपिक भारत के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है. इस साल कासाबा दादासाहेब जाधव ने भारत के लिए पहला व्यक्तिगत मेडल जीता. जाधव ने कुश्ती के फ्रीस्टाइल 57 किग्रा वर्ग में कांस्य पदक जीता था. साल 2008 के बीजिंग ओलंपिक की निशानेबाजी स्पर्धा में अभिनव बिंद्रा ने भारत के लिए पहला और अब तक का एकमात्र व्यक्तिगत स्पर्धा का गोल्ड मेडल जीता.
लंदन ओलंपिक में सर्वाधिक पदक जीते
पदकों की संख्या के हिसाब से साल 2012 के लंदन ओलंपिक अब तक भारत के लिए सबसे सफल रहे हैं. भारत ने साल 2012 में दो रजत पदक और चार कांस्य पदक अपने नाम किए. भारत के लिए इस साल कुश्ती में सुशील कुमार और निशानेबाजी में विजय कुमार ने सिल्वर मेडल हासिल किए. इसके अतिरिक्त मुक्केबाजी में एमसी मैरीकॉम, बैडमिंटन में सायना नेहवाल, कुश्ती में योगेश्वर दत्त और निशानेबाजी में गगन नारंग ने कांस्य पदक जीते.
भारत का प्रदर्शन पिछले रियो ओलंपिक में निराशाजनक रहा था और उसे केवल एक रजत पदक और एक कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा था. भारत के लिए बैडमिंटन में पीवी सिंधु ने रजत पदक और कुश्ती में साक्षी मलिक ने कांस्य पदक जीता था. इस साल भारत बैडमिंटन, कुश्ती, मुक्केबाजी और निशानेबाजी में पदक का प्रबल दावेदार है.
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