अमेरिका चीन ट्रेड वार, जानिए विस्तार से

May 7, 2019, 14:07 IST

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की 200 अरब डॉलर के चीनी सामान के आयात पर शुल्क दर बढ़ाए जाने की चेतावनी के बाद चीन अमेरिका के साथ उच्च स्तरीय व्यापार वार्ता को रद्द करने पर विचार कर रहा है.

US-China trade war
US-China trade war

अमेरिका ने हाल ही में चीन के साथ चल रही व्यापार वार्ता की धीमी प्रगति से हताश होकर इसी सप्ताह से दो सौ अरब डॉलर की चीनी वस्तुओं पर आयात शुल्क बढ़ाने का विचार कर रहा है. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की 200 अरब डॉलर के चीनी सामान के आयात पर शुल्क दर बढ़ाए जाने की चेतावनी के बाद चीन अमेरिका के साथ उच्च स्तरीय व्यापार वार्ता को रद्द करने पर विचार कर रहा है.

अमेरिका के राष्ट्रपति के अनुसार, 10 मई से वह चीन से आयात किए जाने वाले 200 अरब डॉलर के सामान पर शुल्क दर 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत कर सकते हैं.

उच्च स्तरीय चीनी प्रतिनिधि मंडल की बैठक:

चीन के उप-प्रधानमंत्री लियू हेई की अध्यक्षता वाले एक उच्च स्तरीय चीनी प्रतिनिधि मंडल की इस हफ्ते वाशिंगटन में बैठक होनी थी. बैठक का मुख्य उद्देश्य दोनों देशों के बीच ट्रेड वॉर (व्यापार युद्ध) का समाधान ढूंढना है ताकि वैश्विक अर्थव्यवस्था की चिंताओं को दूर किया जा सके. चीन वाशिंगटन में 08 मई 2019 से शुरू होने वाली व्यापार वार्ता को रद्द करने पर विचार कर रहा है.

व्यापार वार्ता में किसी नतीजे पर पहुंचने के लिए राष्ट्रपति ट्रंप चीन के खिलाफ शुल्क बढ़ाने की समय सीमा दो बार जनवरी और मार्च में आगे खिसका चुके हैं.सीएनबीसी न्यूज ने कहा कि चीनी उप-प्रधानमंत्री अंतिम दौर की बातचीत के लिए की जाने वाली अपनी यात्रा को रद्द कर सकते हैं और उनके साथ ही 100 सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल भी इस यात्रा को रद्द कर सकता है.

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ट्रेड वार (व्यापार युद्ध) क्या है?

ट्रेड वार (व्यापार युद्ध) दो देशों के बीच एक ऐसा युद्ध होता है जिसमें किसी हथियार का नहीं बल्कि टैक्स (कर) का इस्तेमाल होता है. इस युद्ध में जन हानि नहीं बल्कि अर्थ की हानि होती है. एक देश दूसरे देश से आने वाले सामान पर टैक्स की दर बढ़ा देता है, जिससे आयात (इंपोर्ट) किया हुआ सामान महंगा हो जाता है. महंगे सामान की मांग कम हो जाती है जिसका असर उस देश पर पड़ता जिससे वह सामान निर्यात किया जा रहा है.

ट्रेड वार से दोनों देशों की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ता है और इसकी वजह से राजनीतिक तनाव भी पैदा हो जाता है. अमेरिका ने साल 1930 में ऐसा ही किया था. उसने अपने टैरिफ बढ़ा दिए थे. इसका असर यह हुआ कि पूरी दुनिया में मंदी का दौर आ गया था.

अमेरिका चीन ट्रेड वार:

अमेरिका और चीन के बीच लंबे समय से व्यापार युद्ध (ट्रेड वार) चल रहा है. बता दें कि जुलाई 2018 के पहले हफ्ते में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक ऐसी नीति को लागू करने की अनुमति दे दी थी जिसके तहत 50 अरब डॉलर मूल्य के चीन से आयतित सामान पर 25 प्रतिशत शुल्क लगाया जाएगा. उधर, चीन ने अमेरिका के इस कदम का विरोध किया और पलटवार करते हुए अपने यहां आने वाले अमेरिकी सामान पर अतिरिक्त टैक्स लगाने की घोषणा कर दी थी.

अब तक अमेरिका चीन पर व्यापार के लिए ग़लत तरीके अपनाने का आरोप लगाता रहा है और 250 अरब डॉलर की चीनी वस्तुओं पर आयात कर लगा चुका है. इसके उत्तर में चीन मे 110 अरब डॉलर की अमरीकी वस्तुओं पर आयात कर लगाए हैं और 'इसे इतिहास का सबसे बड़ा ट्रेड वॉर' करार देते हुए इसका आरोप अमरीका पर लगाया है.

अमरीकी राष्ट्रपति ने सितंबर 2018 में इन वस्तुओं पर 10 प्रतिशत का आयात शुल्क लगाया था. इसे जनवरी 2019 में बढ़ाया जाना था लेकिन दोनों देशों के बीच बातचीत जारी होने के कारण ये कदम नहीं उठाया गया था. चीन ने डॉलर का बदला डॉलर से लेने का इरादा जाहिर करते हुए अमेरिकी निर्यात पर 'तत्काल' शुल्क लगा दिए हैं. विशेषज्ञों के अनुसार, इस टकराव से वैश्विक अर्थव्यवस्था में खलबली पैदा हो जाएगी और विश्व व्यापार प्रणाली पर इसका काफी नकारात्मक असर पड़ेगा.

Vikash Tiwari is an content writer with 3+ years of experience in the Education industry. He is a Commerce graduate and currently writes for the Current Affairs section of jagranjosh.com. He can be reached at vikash.tiwari@jagrannewmedia.com
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