मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2019 को लोकसभा में 21 जून 2019 को पेश किया गया. इस दौरान प्रस्तावित विधेयक के गुणदोषों एवं प्रक्रियागत मसलों पर सत्ता पक्ष एवं विपक्ष के बीच तीखी तकरार भी हुई.
विधेयक को सदन में प्रस्तुत करने की कार्यवाही आरंभ हुई तो ऑल इंडिया मजलिसे इत्तेहादुल मुसलमीन के सदस्य असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि वह इस विधेयक पर आपत्ति व्यक्त करना चाहते हैं. इस पर अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि आपत्ति तभी की जा सकती है जब विधेयक को कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद सदन में पेश कर दें.
असदुद्दीन ओवैसी की आपत्ति को कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी सहित कई विपक्षी नेताओं का समर्थन मिला. विधेयक को पेश करते हुए रवि शंकर प्रसाद ने कहा कि विधेयक मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए है. उच्चतम न्यायालय ने तीन तलाक की प्रथा को अवैध बताते हुए कहा था कि इस बारे में सरकार को कानून बनाना चाहिए. उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद 229 ऐसे मामले आये हैं.
शशि थरूर, असदुद्दीन ओवैसी ने आपत्ति जताई
• कांग्रेस के संसद सदस्य शशि थरूर, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के एन के प्रेमचंद्रन और असदुद्दीन ओवैसी ने आपत्ति व्यक्त करते हुए कहा कि इससे कई संवैधानिक प्रावधानों और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होता है.
• रविशंकर प्रसाद ने इन आपत्तियों को खारिज करते हुए कहा कि प्रस्तावित कानून को 2017 और 2018 में दो बार इसी सदन से पारित किया जा चुका है और यह मुस्लिम महिलाओं की इज्ज़त एवं आबरू के बारे में है.
• ओवैसी ने कहा कि अगर आप मुस्लिम महिलाओं की इतनी चिंता करते हैं तो आप सबरीमला के मुद्दे पर हिन्दू महिलाओं के बारे में चिंता क्यों नहीं करते.” विधेयक कों पेश करने से पहले हुए मतविभाजन में 186 सदस्यों ने समर्थन में और 74 सदस्यों ने विरोध में वोट दिया.
• यह विधेयक 2017 और 2018 में लोकसभा से दो बार पारित किया गया था लेकिन राज्यसभा में अटक गया था. यह विधेयक 21 फरवरी को जारी अध्यादेश के स्थान पर लाया गया है.
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