तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ 3 अप्रैल 2018 को तुर्की के पहले परमाणु संयंत्र के निर्माण कार्य को आरंभ किया. इसे अक्कुयु न्यूक्लियर पावर प्लांट (एनपीपी) के नाम से जाना जायेगा जो मर्सिन प्रांत में मौजूद है.
इस लॉन्च कार्यक्रम को दोनों देशों के राष्ट्रपतियों ने विडियो कांफ्रेंसिंग द्वारा संबोधित किया गया. इस उर्जा संयंत्र की कुल लागत 20 बिलियन डॉलर आंकी गई है.
तुर्की परमाणु उर्जा संयंत्र की मुख्य विशेषताएं
- एनपीपी रूसी राज्य परमाणु ऊर्जा एजेंसी रोसातोम द्वारा बनाया जाएगा और प्रत्येक चार यूनिट 1,200 मेगावाट (मेगावाट) की क्षमता की होगी.
- लगभग 20 अरब डॉलर की कुल निवेश लागत वाला यह संयंत्र प्रतिवर्ष 8,000 घंटे का ऊर्जा उत्पादन करेगा.
- निर्माण के पहले चरण में, 2,400 मेगावाट की क्षमता वाली दो इकाइयों की योजना बनाई गई है.
- प्रारंभिक मूल्यांकन के मुताबिक, प्लांट्स के निर्माण का 35-40 प्रतिशत हिस्सा तुर्की कंपनियों द्वारा किया जा सकता है जो संभावित रूप से अर्थव्यवस्था को लगभग 6 से 8 अरब डॉलर तक बढ़ा सकते हैं.
- संयंत्र में 2023 तक पहला रिएक्टर के लिए एक परिचालन तिथि निर्धारित की गई है, जबकि संयंत्र को 2025 तक पूर्ण क्षमता पर चलने की उम्मीद है.
तुर्की और रूस संबंध
- तुर्की और रूस के मध्य गहरे संबंध रहे हैं तथा दोनों देशों ने 20वीं सदी की शुरुआत तक विभिन्न युद्ध झेले हैं.
- इन दोनों देशों के मध्य संबंधों में उस समय कडवाहट आ गई जब जोसफ स्टालिन ने सत्ता संभाली तथा सोवियत बेस को तुर्की में ले जाने की मांग करने लगे.
- तुर्की द्वारा नाटो ज्वाइन करने तथा अमेरिका से हाथ मिलाने के बाद दोनों देशों में लम्बे समय तक शीत युद्ध चलता रहा.
- तुर्की उत्तरी अमेरिका, पश्चिमी यूरोप के साथ मिलकर सोवियत यूनियन के वॉरसॉ समझौते को नकार दिया.
- वर्ष 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद तुर्की और रूस के संबंधों में इजाफा देखने को मिला. दोनों देश एक दूसरे के लिए सबसे बड़े निर्यातक देश बन गये.
- नवम्बर 2015 में तुर्की सेना के एफ-16 विमान द्वारा रूस के एसयू-24 विमान को मार गिराया गया जिससे दोनों देशों के मध्य एक बार फिर तनाव उत्पन्न हो गया.
- इतना होने के बावजूद तुर्की और रूस ने संबंधों को बेहतर बनाने के लिए प्रयास जारी रखा.
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