यूनाइटेड किंगडम सरकार ने जलवायु परिवर्तन और कोविड -19 महामारी से निपटने के लिए उद्योग और शिक्षा के क्षेत्रों में वैज्ञानिकों का समर्थन करने के लिए भारत में 17 अगस्त, 2020 को 3 मिलियन पाउंड का इनोवेशन चैलेंज (नवाचार चुनौती) फंड शुरू किया है.
ब्रिटिश उच्चायोग द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, इस फंड के तहत 2,50,000 पाउंड तक के कम से कम 12 अनुदान दिए जाने की उम्मीद है. आवेदकों को आदर्श रूप से एक अंतर्राष्ट्रीय सदस्य के साथ, एक अकादमिक-उद्योग संघ के तौर पर बोली प्रस्तुत करने होगी.
यह पहल भारतीय और ब्रिटिश प्रधानमंत्री द्वारा यूके-इंडिया टेक पार्टनरशिप के तहत दोनों देशों के सबसे अच्छे दिमागों को एक साथ लाने, उच्च-कौशल नौकरियों और आर्थिक विकास के साथ-साथ दुनिया की सबसे बड़ी चुनौतियों में से कुछ पर सहयोग करने के लिए बनाई गई है.
इनोवेशन चैलेंज फंड क्या है?
यह इनोवेशन फंड, महाराष्ट्र में भावी मोबिलिटी क्लस्टर और कर्नाटक में एआई-डाटा क्लस्टर के संबंध में टेक इनोवेटर्स को आमंत्रित करता है ताकि कोविड -19 से निपटने के लिए अनुसंधान और विकास प्रस्तावों को प्रस्तुत किया जा सके या हरित ग्रह की अवधारणा को बढ़ावा दिया जा सके.
ये अनुदान तकनीक साझेदारी के तहत व्यापक पहल का हिस्सा हैं जिसे ‘टेक क्लस्टर’ के तौर पर जाना जाता है. यह अंतर्राष्ट्रीय लिंक बनाने और विकास की बाधाओं को हटाकर भारतीय-तकनीकी समूहों के विकास का समर्थन करेगा.
दो-पृष्ठ के अवधारणा नोट्स प्रस्तुत करने की अंतिम समय सीमा 31 अगस्त, 2020 है, और इसका विस्तृत विवरण वेबसाइट पर भी उपलब्ध है.
इनोवेशन चैलेंज फंड का उद्देश्य
यूके-इंडिया पार्टनरशिप के प्रमुख, ब्रिटिश उच्चायोग, कैरेन मैक्लुस्की ने यह बताया कि, इस फंड का उद्देश्य नवप्रवर्तन नायकों (इनोवेशन हीरोज़) का समर्थन करना है, चाहे वे वायरस से लड़ने या एक बड़े वैश्विक खतरे - जलवायु परिवर्तन के लिए काम कर रहे हों. ब्रिटेन को भारत के साथ काम करने पर गर्व है, क्योंकि उभरती हुई तकनीक के विकास के साथ उसे अपनाने में इन दोनों विश्व नेताओं के साथ अन्य सभी को फायदा होगा.
ब्रिटिश उच्चायोग के प्रकाशन में यह भी कहा गया कि, इस फंड का उद्देश्य नवाचार और प्रौद्योगिकी को उत्प्रेरित करना है, जो वैश्विक चुनौतियों का सामना करेंगे. नवप्रवर्तन-समावेशी विकास को आगे बढ़ाने के लिए क्षेत्रीय और प्रादेशिक शक्तियों से पूरा फायदा उठाने का इरादा है.
रिसर्च और इनोवेशन पर भारत और ब्रिटेन की साझेदारी
अप्रैल 2018 में, ब्रिटिश और भारतीय प्रधानमंत्रियों ने यूके-इंडिया टेक पार्टनरशिप के औपचारिक निर्माण की घोषणा की थी. इस कार्यक्रम का उद्देश्य तकनीक के क्षेत्र में काम करने वाले सर्वश्रेष्ठ दिमागों को अपनी भविष्य की क्षमता को हासिल करने और दोनों देशों में आर्थिक विकास और उच्च-कौशल नौकरियों की व्यवस्था करना है.
भारत में उच्चायुक्त, सर फिलिप बार्टन ने इस बात पर प्रकाश डाला कि, भारत और यूके के पास अनुसंधान और नवाचार का एक मजबूत इतिहास है, और जलवायु परिवर्तन और कोविड-19 यह प्रदर्शित करते हैं कि, ये दोनों ही विश्व की सबसे बड़ी चुनौतियां हैं.
उन्होंने आगे यह भी कहा कि, सरकार को व्यवसाय, शिक्षा, और नवाचार में तेजी लाने और राष्ट्रों को जीवन बचाने और बेहतर भविष्य के निर्माण के लिए परस्पर सहयोग करने की इससे पहले कभी भी इतनी अधिक आवश्यकता महसूस नहीं हुई है.
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