बिजली उत्पादन की लागत को कम करने के लिए घरेलू कोयले के प्रयोग में लचीलेपन को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी

May 10, 2016, 14:42 IST

राज्य के निजी उत्पादक स्टेशनों में कोयला दिए जाने के मामले में प्रतिस्थापित कोयला से बनने वाली बिजली प्रतिस्पर्धी निजी क्षेत्र के संयंत्रों के बीच निविदा के आधार पर खरीदी जाएगी.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 4 मई 2016 को बिजली उत्पादन और खरीद की लागत को कम करने के लिए घरेलू कोयले के इष्टतम उपयोग में लचीलेपन को मंजूरी दे दी.

यह कोयले से बिजली बनाने को शक्ति प्रदान करेगा और साथ ही परिवहन लागत को भी अनुकूल बनाएगा.

प्रस्ताव के उद्देश्य

• दक्षता को बढ़ावा देने, प्राकृतिक संसाधनों का इष्टतम प्रयोग के साथ– साथ देश में बिजली के क्षेत्र में समग्र आर्थिक लाभ के लिए नए रुझान तैयार करेगा.

• यह प्रस्ताव केंद्र सरकार की उदय योजना को ध्यान में रख कर भी बनाया गया है.

• इससे कोयले के परिवहन लागत में कमी के साथ– साथ परिवहन में लगने वाली ऊर्जा में बजत और रेलवे यातायात में भीड़ भी कम होगी.

• यह पर्यावरण के अधिक अनुकूल प्रबंध होगा क्योंकि अधिक बिजली पैदा करने के लिए कम कोयले का प्रयोग किया जाएगा और कोयले के परिवहन के लिए दूरी भी अनुकूलित की जाएगी.


• दीर्घ कालिक व्यक्तिगत राज्य उत्पादक स्टेशनों को जोड़ने और उसे संबंधित राज्यों या राज्य नामित एजेंसियों को देने की भी कल्पना की गई है.

• इसी प्रकार व्यक्तिगत केंद्रीय उत्पादक स्टेशनों (सीजीएस) के कोयला लिंकेज को जोड़ा जाएगा ताकि बिजली पैदा करने वाले स्टेशन कोयले का कुशल प्रयोग करने में सक्षम हो सकें.

• राज्य या केंद्र उत्पादक संयंत्रों में कोयले के इस्तेमाल के मामले में निर्धारक मानदंड संयंत्र की दक्षता, कोयला परिवहन लागत, पारेषण शुल्क और बिजली की कुल लागत होगी.

• राज्य के निजी उत्पादक स्टेशनों में कोयला दिए जाने के मामले में प्रतिस्थापित कोयला से बनने वाली बिजली प्रतिस्पर्धी निजी क्षेत्र के संयंत्रों के बीच निविदा के आधार पर खरीदी जाएगी.

पृष्ठभूमि

देश में बिजली बनाने का मुख्य स्रोत कोयला है.

कोयला आधारित थर्मल पावर प्लांट्स की मोटे तौर पर दो श्रेणियां हैं –

क) पिट हेड बेस्ड प्लांट्स, जो कोयले के खदानों के पास होते हैं.

ख) लोड सेंटर बेस्ड प्लांट्स, ये लोड सेंटरों के पास बने होते हैं.

प्रौद्योगिकी, इकाई क्षमता आदि के आधार पर कोयले से बिजली बनाने की प्रक्रिया में बिजली संयंत्रों की क्षमता का स्तर अलग– अलग होता है.
वर्तमान में ऐसी स्थितियां बन गईं हैं जहां सक्षम बिजली संयंत्रों के पास कोयले की कमी है जबकि अन्य बिजली संयंत्रों के पास क्षमता के प्रयोग न कर पाने की वजह से पर्याप्त कोयला उपलब्ध है.

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