केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने मणिपुर की सुप्रसिद्ध लोकतक झील के संरक्षण के लिए हाल ही में चार सदस्यीय टीम का गठन किया.
पर्यावरण मंत्रालय द्वारा बनाई गई टीम लोकतक झील का खबर जानने के लिए 7 नवंबर से लेकर 9 नवंबर 2016 तक मणिपुर का दौरा करेगी.
केंद्र सरकार की चार सदस्यीय टीम लोकतक झील के प्रबंधन और संरक्षण के बारे में उठाए गए कदमों के बारे में जानकारी लेगी तथा वे इस झील के आस-पास रहने वाले स्थानीय निवासियों से मुलाकात करेगें.
यह टीम केंद्र और राज्य सरकारों से विभिन्न कामों के लिए मिल रही धन राशि के सही उपयोग के बारे में भी आंकलन करेगी. इसके अलावा केंद्रीय टीम लोकतक झील के मौजूदा स्वरुप को बचाए रखने के लिए भी विचार करेगी.
लोकतक झील को केंद्र सरकार यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट के तौर पर दर्ज कराना चाहती है. इसके लिए इस झील के मैनेजमेंट और संरक्षण के लिए तमाम महत्वपूर्ण कदम उठाए जाने हैं.
केंद्रीय टीम इससे संबंधित मुख्य तथ्य पूरा आंकलन करेगी और इसके लिए जरूरी उपायों के बारे में सुझाव देगी. केंद्रीय टीम लोकतक झील पर टूरिज्म को बढ़ावा देने तथा इसके विकास पर भी अपने सुझाव देगी.
इस टीम को 15 नवंबर तक अपनी रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है.
लोकतक झील के बारे में:
• लोकतक झील भारत के पूर्वोत्तर भाग में स्थित मणिपुर राज्य की एक झील है.
• यह अपनी सतह पर तैरते हुए वनस्पति और मिट्टी से बने द्वीपों के लिये प्रसिद्ध है.
• झील का कुल क्षेत्रफल लगभग 280 वर्ग किमी है.
• झील पर सबसे बड़ा तैरता द्वीप "केयबुल लामजाओ" कहलाता है और इसका क्षेत्रफल 40 वर्ग किमी है.
• लोकतक झील मणिपुर के लिये बहुत आर्थिक व सांस्कृतिक महत्व रखती है.
• इसका जल विद्युत उत्पादन, पीने और सिंचाई के लिये प्रयोग होता है.
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